आखिर क्यों नहीं बढ़े रद्दी के दाम?

बद्दी (सोलन)। गत्ता उद्योग संघ की बीबीएन इकाई की बैठक में पेपर मिलों की तानाशाही पर चिंता जताई है। वक्ताओं ने कहा कि पेपर मिल पेपर के रेट के मुताबिक रद्दी के रेट नहीं बढ़ा रही है जिसके चलते गत्ता उद्योग पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघ के अध्यक्ष निर्मल सिंगला ने कहा कि पेपर उद्योग ने गत्ता संचालकों के साथ यह वादा किया था कि जिस हिसाब से वे पेपर के रेट बढ़ाएंगे उसी हिसाब से रद्दी के रेट भी बढ़ाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। पेपर के रेट हाल ही में डेढ़ रुपये बढ़ा दिया है जबकि रद्दी के रेट मात्र 32 पैसे बढ़ाए हैं। इस गेप का गत्ता उद्योग कैसे भरपाई करेगा?
इसके अलावा फार्मा कंपनी गत्ता उद्योगों से माल तो लेता है लेकिन उसका भुगतान सौ दिन के बाद करता है जिससे गत्ता उद्योग अब घाटे का सौदा बना हुआ है। बैठक में फैसला लिया गया कि शीघ्र ही पेपर मिल संचालकों के साथ एक बैठक की जाएगी जिसमें पेपर के रेट कम करने की अपील की जाएगी। अगर पेपर मिल रेट कम नहीं करेगी तो उन्हें मजबूरन बाहरी राज्यों से पेपर मंगाना पड़ेगा।
पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि बीबीएन में पचास उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। जिसमें एक दर्जन उद्योगों की हालत काफी नाजुक है। अगर शीघ्र ही इस पर गौर नहीं किया गया तो आने वाले समय में कई उद्योग बंद हो जाएंगे। बैठक में फैसला लिया गया कि फार्मा कंपनी के संचालकों के साथ बैठक कर सौ दिन से पहले भुगतान करने का आग्रह किया जाएगा। बैठक में अशोक राणा, विकास सिंगला, हेमराज, अजय जैन और सुशील सिंगला ने समेत दर्जनों गत्ता संचालकों ने भाग लिया।

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