आंदोलन की राह पर शिक्षक

देहरादून। तबादलों प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों और मनमानी से नाराज शिक्षक आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए संयोजक मंडल पर बना लिया गया है। गांधी पार्क में हुई राजकीय शिक्षक संघ की बैठक में शिक्षकों ने कहा कि विसंगतियों को दूर किए बगैर तबादले मंजूर नहीं होंगे।
शिक्षकों ने स्कूलों के वर्गीकरण के लिए कट ऑफ डेट 21 मई 2013 के बजाए नौ नवंबर 2000 करने की मांग उठाई। शिक्षकों ने कहा कि राज्य गठन के बाद दुर्गम रहे तमाम स्कूल सुगम श्रेणी में आ गए हैं। इन स्कूलों में तैनात रहे शिक्षकों की सेवाओं को सुगम में जोड़ा जा रहा है, जो सरासर गलत है। यदि गलतियों को दूर किए बगैर तबादले किए गए तो शिक्षक कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे। बैठक में राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एनएस बिष्ट, महामंत्री नागेंद्र पुरोहित, शरद कुमार शर्मा, सुरेंद्र, आरबी यादव, विनोद कंडवाल आदि मौजूद थे।
संयोजक मंडल
नरेंद्र सिंह बिष्ट व नागेंद्र पुरोहित संरक्षक, एमएम सिद्धिकी, भगवान सिंह रावत, संगीता खत्री, विजय लक्ष्मी, निर्मला नेगी, रीता शर्मा, संजीव वालियान, संजय गर्ग, अनिल पांडे, राजीव काला, ऊषा मेहरा आदि।
शिक्षकों का दर्द
घर और बच्चों से दूर रहकर उत्तरकाशी और कालसी के दुर्गम स्कूलों में साढ़े छह साल सेवा की। पहली नियुक्ति वर्ष 1998 में दुर्गम स्कूल प्राथमिक विद्यालय गुडियाट गांव उत्तरकाशी में मिली, इसके बाद कालसी के क्वारना गांव के स्कूल में रही। गांव में बिजली न होने से मोमबत्ती की रोशनी से काम चलाते थे। तमाम कठिनाइयों में की गई सेवाओं के बावजूद दुर्गम स्कूलों की सेवाओं को सुगम में जोड़ दिया गया है।-रीना डोभाल, सहायक अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय कंडोली
पहली नियुक्ति वर्ष 1992 में पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय सुमेरुसैण स्कूल में मिली। पांच से छह किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पार कर स्कूल पहुंचते थे। अति दुर्गम का स्कूल था, लेकिन स्कूल में की गई सेवा को दुर्गम दर्शाया गया है। इसके अलावा यमकेश्वर ब्लॉक के अति दुर्गम स्कूल में की गई सेवाओं को भी दुर्गम दर्शाया गया है।-कादंबरी बिष्ट, सहायक अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय कंडोली रायपुर

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