
न्यूयॉर्क: अमेरिका में व्हाइट हाउस और रिपब्लिकन नेताओं के बीच नए साल पर टैक्स में भारी वृद्धि को टालने का समझौता हो गया है। सीनेट ने उपराष्ट्रपति और रिपब्लिकन सांसदों के बीच हुए बजट समझौते को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है।
बजट असंतुलन रोकने वाला समझौता मध्यरात्रि को टैक्स वृद्धि और सरकारी खर्च में कटौती के लागू होने के दो घंटे बाद हुआ। सीनेट में 8 के मुकाबले 89 मतों से इस समझौते के पास होने के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि यह 98 फीसदी अमेरिकियों और 97 फीसदी छोटे उद्यमियों को नए टैक्स से बचाता है। उन्होंने संसद के दूसरे सदन प्रतिनिधि सभा से इस बिल को बिना किसी देरी के पास करने की अपील की। प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है, जबकि सीनेट में राष्ट्रपति की डेमोक्रैटिक पार्टी बहुमत में है।
रिपब्लिकन सांसदों के साथ हुए डील में कर्ज की सीमा बढ़ाने पर समझौता हुआ है जिससे कि बजट कटौतियों को टाला जा सके। ओबामा ने कहा, “बजट घाटे को कम करने के लिए और बहुत काम करना है, लेकिन समझौते की वजह से यह संभव हुआ है कि हम नए खर्च में कटौती और धनी अमेरिकियों से राजस्व इकट्ठा कर घाटे को कम करना जारी रखेंगे।”
रिपब्लिकन सांसद धनी लोगों को मिलने वाली कटौतियों के साथ ही सभी टैक्स कटौतियों को बनाए रखना चाहते थे, लेकिन डेमोक्रैट ढाई लाख डॉलर सालाना से ज्यादा कमाने वालों का टैक्स बढ़ाना चाहते थे। ओबामा ने कहा, “न तो डेमोक्रैट को और न ही रिपब्लिकन को सब कुछ मिला जो वे चाहते थे, लेकिन यह समझौता हमारे देश के लिए अच्छा फैसला है।”
गौरतलब है कि इससे पहले के समय में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 4 लाख डॉलर से ज्यादा सालाना कमाने वाले लोगों को टैक्स कटौतियों का तोहफा दिया था लेकन नए समझौते के तहत अब इसकी मियाद खत्म कर दी गई है।
यदि प्रतिनिधि सभा भी नए समझौते को मंजूरी दे देती है तो यह राष्ट्रपति ओबामा की बड़ी जीत होगी। साढ़े चार लाख डॉलर सालाना से ज्यादा कमाने वाले परिवारों पर टैक्स बढ़ जाएगा, लेकिन बाकी लोगों को नियोजित टैक्स वृद्धि से राहत मिल जाएगी। समझौते में लम्बे समय से बेरोजगार 20 लाख लोगों का बेरोजगारी भत्ता बढ़ाने और प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाने का भी प्रावधान है। डेमोक्रैटिक सांसद कटौतियों को संतुलित बनाने पर जोर दे रहे थे ताकि अर्थव्यवस्था पर उसके बुरे असर को रोका जा सके।
नया समझौता नहीं होने पर पहली जनवरी से सामाजिक मदों से लेकर रक्षा मंत्रालय तक के सरकारी खर्च में 10 फीसदी की कटौती लागू होती, लेकिन उसे दो महीने के लिए टाल दिया गया है। 109 अरब डॉलर की बजट कटौती दो महीने के लिए टल तो गई है लेकिन फरवरी के अंत में वाशिंगटन में दोनों पार्टियों के बीच नए विवाद का मंच तैयार है।
टैक्स में वृद्धि और सरकारी खर्च में कटौती से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को 60 अरब डॉलर का नुकसान होता। विशेषज्ञों को आशंका थी कि इससे अमेरिका मंदी में घिर सकता है जिसका असर विश्व अर्थव्यवस्था पर भी होता।
अमेरिका में पहली जनवरी छुट्टी का दिन है, जिसकी वजह से मध्यरात्रि तक समझौता कर पाने में संसद की विफलता का उतना असर नहीं दिखा है।
‘फिस्कल क्लिफ’ के नाम से कुख्यात इस समस्या की शुरुआत 2011 में हुई थी जब विभाजित कांग्रेस ने सरकार पर बचत का दबाव डालने के लिए 500 अरब डॉलर की कटौती की एक सख्त योजना बनाई थी।
सरकारी खर्च पर आम सहमति वाला रुख तय करने का काम राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों के कारण समय से पूरा नहीं हो पाया। पिछले दशक में अलग अलग कारणों से अमेरिका का राजकोषीय कर्ज बढ़कर 16,000 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है।