अब क्या करेंगे रेल सर्वे में जुटे कर्मचारी!

बिलासपुर। भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन पर रेलमंत्री की चुप्पी से हर कोई मायूस है। वर्ष 2009 से रेल लाइन के सर्वे और भू-अधिग्रहण में लगे कर्मचारी अब असमंजस की स्थिति में हैं। इस प्रोजेक्ट के सिरे चढ़ने की तमाम संभावनाएं अब शून्य लग रही हैं। रेल लाइन के लिए केंद्र से नौ करोड़ रुपये की राशि जारी हुई। अभी तक यह बजट नहीं खर्चा गया है। बताया जा रहा है कि इस रकम से मिलने वाले ब्याज से ही कर्मचारियों पर होने वाला खर्च पूरा हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस कार्य के लिए तैनात किए गए कर्मचारी अब दूसरी जगह अपनी एडजेस्टमेंट करवाने की तैयारी में है।
वर्ष 2009 से इस रेल लाइन की सुगबुगाहट तेज हुई है। भू-अधिग्रहण की धारा चार, छह और सात की अधिसूचनाएं जारी हुई हैं। कार्यालय खुला और काम भी शुरू हुआ, लेकिन बजट मुहैया नहीं हो पा रहा है। इस साल के बजट में भी इस रेल लाइन को बजट में नहीं डाला गया है। इससे कर्मचारियों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आखिर अब आगे क्या कार्य करेंगे ये कर्मचारी। इसे लेकर संशय बरकरार है। रेल लाइन के सर्वे के लिए एक सीनियर असिस्टेंट, दो कानूनगो, दो पटवारी समेत कुछ और कर्मचारी तैनात किए गए हैं। क्या रेल लाइन के सर्वे के लिए मिले नौ करोड़ रुपये केंद्र को वापस जाएंगे। कार्यालय बंद हो जाएगा या फिर इसी तरह अगले साल का इंतजार किया जाएगा। इसे लेकर यहां चरचा का बाजार गर्म है। पूर्व सांसद सुरेश चंदेल का कहना है कि इस बार का बजट भी मायूसी भरा रहा। सर्वे आखिर कब तक होते रहेंगे। एक लाइन का काम तो पूरा हुआ नहीं, दूसरे सर्वे की बात की जा रही है, जो निराश करने वाला है। चाहिए तो यह था कि भानूपल्ली-बिलासपुर-बैरी लाइन को बजट में डाला जाता। उधर, भाजपा विधायक रणधीर शर्मा का कहना है कि इस रेल लाइन के लिए कोई भी घोषणा नहीं हुई है। केंद्र ने हिमाचल की अनदेखी की है।

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