
शिमला। कर्मचारियों को मासिक वेतन देने के लिए विकास कार्यों की एफडी तोड़ने में माहिर नगर निगम राज्य सचिवालय के अफसरों को मुफ्त में पानी पिला रहा है। पंथाघाटी के समीप बसंत विहार में बनी सचिवालय हाउसिंग को आपरेटिव सोसायटी को बीते कई सालों से नगर निगम ने पानी का बिल नहीं दिया है। अफसरों की सोसायटी के बनाए गए इन 104 फ्लैटों को दी जाने वाली सप्लाई का एमसी के कंप्यूटरों में भी कोई डाटा तक नहीं है।
बसंत विहार स्थित सचिवालय हाउसिंग को आपरेटिव सोसायटी को पानी का आखिरी बिल कब दिया था? इसकी जानकारी नगर निगम की पेयजल एवं सीवरेज शाखा के पास नहीं है। शाखा से संपर्क करने में संबंधित अधिकारी रिकार्ड देखने की बात कर रहे हैं। खुद को बेदाग बताते हुए इस शाखा से सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों पर डाटा मेंटेन न करने का आरोप लगाकर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। निगम अधिकारियों के पास सिर्फ इतनी जानकारी है कि सचिवालय हाउसिंग को आपरेटिव सोसायटी के 104 फ्लैटों के लिए दो-दो इंच के पांच मीटर लगाए गए हैं और एक बार 56 हजार का बिल दिया गया है, लेकिन यह बिल कब दिया गया है बिल जमा हुआ है या नहीं। इसकी जानकारी किसी के भी पास नहीं है।
शहर में पानी की टंकियां ओवर फ्लो होने पर दो हजार और घरेलू कनेक्शन का व्यवसायिक उपयोग करने पर दस हजार का जुर्माना नगर निगम ने तय किया है। आम आदमी पर नकेल कसने के लिए हर बंदोबस्त किया गया है, लेकिन अब 104 फ्लैटों को जा रही सप्लाई का कोई ब्योरा नहीं होने के लिए कौन जिम्मेवार है। इस बाबत सभी ने चुप्पी साध ली है।
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कर्मियों से तलब किया रिकार्ड : विजय
निगम अभियंता विजय गुप्ता का कहना है संबंधित कर्मचारियों से सारा रिकार्ड तलब किया गया है। कब कनेक्शन लगाया गया था। कब से बिल नहीं दिया जा रहा। इस बाबत जानकारी जुटाई जा रही है।
फील्ड कर्मी भी पहुंचे एमसी आफिस
सचिवालय हाउसिंग को आपरेटिव सोसायटी का रिकार्ड नहीं मिलने के चलते वीरवार को निगम की पेयजल एवं सीवरेज शाखा में दिनभर अफरातफरी का माहौल रहा। छोटा शिमला से लेकर मैहली तक सप्लाई की जिम्मा संभाल रहे कर्मचारियों का एमसी आफिस में आना जाना रहा। हर कोई एक-दूसरे पर गलती डालकर अपना पल्ला झाड़ता हुआ दिखा।