हिमाचल प्रदेश पुलिस हज़ारो मुलजिमो को ढूंढने ने रही नाकाम, 46 वर्षो से कोर्ट में लग रही है तारिक पर तारिक

हिमाचल प्रदेश पुलिस हज़ारो मुलजिमो को ढूंढने ने रही नाकाम, 46 वर्षो से कोर्ट में लग रही है तारिक पर तारिक

यूँ तो कहा जाता है कि कानून के हाथ लम्बे होते है पर इन अपराधियों के लिए कानून के हाथ बौने साबित हो रहे है आइए जानते है पूरा मामला

हिमाचल प्रदेश में 46 साल से लंबित आपराधिक मामलों में अदालतें तारीख पर तारीख देते थक गईं। अब मामले की पत्रावलियां मुलजिमों का इंतजार करेंगी। इन वर्षों में तारीखें बहुत लगीं, पर पुलिस मुलजिम को पेश नहीं कर सकी। मजबूरन अदालत को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कोर्ट ने पत्रावलियों को दफ्तर में सुरक्षित रखने का आदेश दे दिया। अब इन फाइलों पर तब तक तारीखें नहीं लगेंगी, जब तक पुलिस को मुलजिम मिल नहीं जाते।

हिमाचल में 1,236 फाइलें मुलजिमों के इंतजार में उच्च न्यायालय और जिलों की अदालतों में सुरक्षित हैं। राजधानी शिमला में ही सबसे ज्यादा करीब 290 मुलजिम फरार चल रहे हैं। इनमें विदेश सहित विभिन्न राज्यों के आरोपी शामिल हैं। हत्या, लूटपाट जैसे अपराधों में 6 महिलाएं भी सालों से फरार चल रही हैं। इन मलजिमों से संबंधित मुकदमे के वादी और गवाह तो अदालतों तक पहुंचे, लेकिन मुलजिमों को पुलिस अदालत में पेश नहीं कर सकीं। ज्यादातर मामलों में स्थायी वारंट जारी किए गए हैं। 100 से ज्यादा मुलजिम नेपाल के रहने वाले हैं। इसके अलावा – नाइजीरियन, यूपी, एमपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब के अधिकतर आरोपी शामिल हैं।

केस-1: जेल से निकलने के बाद 45 साल से आरोपी फरार
थाना बालूगंज से संबंधित 46 साल पुराना चोरी का मुकदमा जेएमआईसी कोर्ट में विचाराधीन है। यह मामला सात साल की कैद और जुर्माने से दंडनीय है। धन बहादुर पुत्र जार सिंह बेटनी, तहसील एवं जिला सुरखेत, नेपाल निवासी हाल निवासी जाखू, शिमला शहर मुख्य आरोपी है। जेल से वह जमानत पर छूटा था। अब 45 साल से फरार है। मार्च 1979 से अदालत कई बार आरोपी को कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी कर चुकी है। मगर, आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है। कोर्ट ने पत्रावलियों को दाखिल दफ्तर करने का आदेश दे दिया।

केस-2: धोखाधड़ी के 31 वर्ष बाद भी कोर्ट में पेश नहीं
यह मामला राजधानी के सदर थाना क्षेत्र का है। ओपी बाबर पर धोखाधड़ी का मुकदमा वर्ष 1993 में दर्ज हुआ। यह मामला सात साल की कैद और जुर्माने से दंडनीय है। मामले में कई तारीखें लगीं, जमानती और गैर जमानती वारंट जारी हुए लेकिन आरोपी फरार ही रहा। आरोपी ने पुलिस को मकान नंबर 456, विकासपुरी नई दिल्ली का पता दिया था। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दिए गए पते पर ओपी ओपी बराड़ नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं।

केस-3: पुलिस को दिए दस्तावेजों में दर्ज पते का कोई गांव ही नहीं
वर्ष 1997 में आरोपी रमेश चंद पुत्र बाबू राम शर्मा के खिलाफ शराब की तस्करी का मामला सदर थाना पुलिस ने दर्ज किया था। आरोपी ने पुलिस के समक्ष अपना पता गांव नुजे, तहसील अर्की, सोलन और हाल नौकर सब्जी मंडी शिमला ढाबा नंबर-7 दर्ज किया था। 27 साल पहले दर्ज इस मामले में फरार चल रहे मुलिजम के बारे में पुलिस ने अदालत में बताया कि दस्तावेजों के दर्ज पते पर इस नाम का कोई गांव ही नहीं है।

केस-4: 1987 में पत्नी और बेटे की हत्या के बाद आरोपी फरार
यह मामला राजधानी के सदर क्षेत्र का है। महाराष्ट्र के पुणे के मकान नंबर 844/98 दित्या शक्ति हाउसिंग सोसाइटी महापिनागत निवासी महेश पोपट उर्फ लाल लाल बुखारिया पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। शहर के एक होटल में आरोपी पर पत्नी और बेटे की हत्या के आरोप लगे। पुलिस अदालत के समक्ष सबूतों और गवाहों को भी पेश कर चुकी है। लेकिन, आरोपी पुलिस की गिरफ्त में एक बार भी नहीं लगा। महेश 37 सालों से फरार चल रहा है। अदालत ने उद्घोषित अपराधी करार दिया है।

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