दुनियाभर में स्वच्छ और सुरक्षित भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक को अपनाना जरूरी है। इससे पैदावार बेहतर होगी और केमिकल से निजात मिलेगी। यूसी रिवरसाइड और कार्नेगी मेलन विवि के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद दावा किया कि वर्ष 2020 की तुलना में 2050 तक दुनियाभर के खाद्य उत्पादन में 60 फीसदी तक वृद्धि की जरूरत पड़ेगी, जिसे नैनो तकनीक से ही पूरा किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं की एक टीम ने नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए धान के पौधों में परीक्षण के जरिए एक निश्चित जीन में बदलाव कर चावल की उपज में 40 फीसदी की वृद्धि की है। चावल का अधिक उत्पादन करने के लिए अलग-अलग पौधों के आनुवंशिक रूप से डीएनए को बदलकर चावल की पैदावार में सुधार करने के तरीकों पर गौर किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके बदले हुए चावल के पौधे नाइट्रोजन को मिट्टी से अधिक कुशलता से खींचकर, फूल आने में तेजी लाकर अपनी पैदावार बढ़ाने में सक्षम थे।
शोधकर्ताओं ने नैनो मेडिसिन के विशिष्ट तरीकों से कीटनाशकों, खरपतवारनाशक और कवकनाशियों को विशिष्ट जैविक लक्ष्यों तक पहुंचाया। शोधकर्ता के मुताबिक, नैनोमैटेरियल को शर्करा या पेप्टाइड्स के साथ कोटिंग करने पर आधारित उन तकनीकों में हम अग्रणी हैं जो पौधों की कोशिकाओं और उनके खास हिस्सों पर विशिष्ट प्रोटीन को पहचानते हैं। यह तकनीक पौधे की मौजूदा आणविक मशीनरी को समझने और जरूरी रसायनों को उस स्थान पर भेजने में मदद करती है, जहां पौधे को इसकी आवश्यकता होती है। इस तरह हम पूरी फसल पर अनावश्यक रसायनों के छिड़काव से बच जाएंगे।