हाईकोर्ट में दफ्तर बंद करने पर सुक्खू सरकार को एक और चुनौती

हाईकोर्ट में दफ्तर बंद करने पर सुक्खू सरकार को एक और चुनौती

शिमला
हिमाचल प्रदेश की सखिविंद्र सिंह सुक्खू सरकार की ओर से दफ्तर बंद करने के एक और फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने बिना कैबिनेट के लिए गए फैसलों के खिलाफ याचिका दायर की है। महाधिवक्ता ने इस याचिका पर आपत्ति दर्ज की है। विधायक ऐसी याचिका दायर कर सकता है या नहीं, अदालत ने इस पर सुनवाई 11 जनवरी को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र के कोटला बेहड़ और रक्कड़ में उप दंडाधिकारी कार्यालय खोले थे, लेकिन सरकार ने गत 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेशों के आधार पर दोनों कार्यालयों को बंद कर दिया।

उन्होंने याचिका में आरोप लगाया गया कि बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व कैबिनेट के फैसलों को रद्द किया जा रहा है। याचिका में दलील दी गई कि सरकार की ओर से जारी प्रशासनिक आदेशों से कै बिनेट के फैसलों को निरस्त करना गैर कानूनी है। भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अदालत को बताया गया कि गत 12 दिसंबर को सरकार ने सभी विभागों के अधिकारियों को दिया गया पुनर्रोजगार समाप्त कर दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वेष भावना से कार्य कर रही है। याचिकाकर्ता ने सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को रद्द करने की गुहार लगाई है।

हाईकोर्ट ने तलब की लोनिवि के सभी लंबित प्रोजेक्टों की जानकारी
वहीं, प्रदेश हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के सभी लंबित प्रोजेक्टों पर सचिव से जानकारी तलब की है। साथ ही कब्जाधारियों के नाम बताने के भी आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 12 जनवरी को निर्धारित की है। प्रदेश के राजमार्गों पर किए गए कब्जों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने हैरानी जताई कि ठियोग बाईपास का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन यह कार्य अभी भी अधूरा है। अदालत ने पाया कि विभाग इस निर्माण कार्य में हुई देरी को स्पष्ट करने में नाकाम रहा है। खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि पीडब्ल्यूडी उन कार्यों को पूरा करने में भी नाकाम रहा है, जिन्हें वित्तीय स्वीकृति दी गई है। उदाहरण देते हुए अदालत ने कहा कि डोडरा क्वार को जोड़ने वाली सड़क को पक्का करने का कार्य भी वित्तीय स्वीकृति के बावजूद पूरा नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर के राजमार्गों से कब्जे को हटाने के लिए हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। पिछले आदेशों में अदालत ने राजमार्गों से सभी कब्जों को हटाने के आदेश दिए थे। जिन अवैध कब्जाधारियों ने अदालत में याचिका दायर की है, उन्हें हाईकोर्ट ने सक्षम अदालत को निर्धारित समय में निपटाने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता हरनाम सिंह की याचिका को अदालत ने जनहित में तब्दील किया है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष गुहार लगाई गई है कि सड़क किनारे उसके ढाबे को न गिराया जाए। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि इस ढाबे की आय से उसका घर का खर्चा चलता है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि जब प्रदेश के सभी कब्जाधारियों से कब्जे छुड़ाए जाएंगे तो उस स्थिति में याचिकाकर्ता के साथ भी वही व्यवहार किया जा सकता है।

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