रोहतांग के उस पार जल्द पहुंचेगे वाहन

उदयपुर (लाहौल-स्पीति)। मौसम मेहरबान रहा तो बीआरओ के साथ एक नई
उपलब्धि जुड़ने में अब देर नहीं लगेगी। समुद्रतल से 13050 फुट ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रे पर ट्रैफिक बहाल करने के लिए सीमा सड़क संगठन के जवान इतिहास
रचने की ओर अग्रसर हैं। गत वर्ष दर्रा 24 अप्रैल को बहाल हुआ था लेकिन इस बार मौसम के साथ न होने के बावजूद भी संगठन के जवानों के हौसले बुलंद हैं।
बीआरओ के अधिकारियों और जवानों का लक्ष्य गत वर्ष के मुकाबले इस बार दर्रे को जल्द बहाल करना है। रोहतांग दर्रे को फतेह करने निकले बीआरओ के जवान अब लक्ष्य भेदने से महज 18 किलोमीटर पीछे हैं। मौसम मेहरबान रहा तो बीआरओ गत वर्ष का रिकार्ड तोड़ सकता है।
दर्रा बहाल होने के बाद लाहौल-पांगी घाटी के लोग आसानी से आ जा सकेंगे। लेह लद्दाख से सटी भारतीय सेना को सीमा तक असला और खाद्य सामग्री कम समय में पहुंच सकेगी। पर्यटक भी बर्फ से लकदक रोहतांग दर्रे का दीदार कर सकेंगे। रोहतांग पर भारी हिमपात के चलते मनाली-लेह सड़क मार्ग पर चार माह से यातायात ठप है। आमतौर पर दर्रा मई-जून में ही बहाल होता आया है।
मनाली की ओर से बीआरओ की मशीनरी राहनीनाला में विशालकाय हिमखंड से जंग लड़ रही है। वहां जवानों को खूब पसीना बहाना पड़ रहा है। जवान देर शाम तक कार्य को अंजाम दे रहे हैं। लाहौल की ओर से निकली टीम बर्फ की मोटी परत काटते हुए ग्रांफू में डटी है। 70 आरसीसी के कमांडिंग आफिसर एसकेएन सोनी ने गत वर्ष रोहतांग दर्रा 24 अप्रैल को यातायात के लिए बहाल कर दिया था। बताया कि मौसम ने साथ दिया तो पिछले साल का रिकार्ड तोड़ने में देर नहीं लगेगी।

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