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गढ़वाल। गढ़वाल मंडल के विभिन्न हिस्सों में बुधवार की देर रात हुई मूसलाधार बारिश चारधाम यात्रा पर निकले तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बन गई। गंगोत्री राजमार्ग धरासू बैंड और सैंज मनेरी में भारी मलबा आने से तेरह घंटे अवरुद्ध रहा। इससे 15 हजार से अधिक यात्री बीच में फंसे रहे। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग श्रीकोट और मूल्यागांव में मलबा आने से करीब 11 घंटे बंद रहा। यहां भी हजारों यात्री जाम में फंस गए।
गंगोत्री राजमार्ग में बुधवार रात 11 बजे उत्तरकाशी से गंगोत्री की ओर बीस किमी दूर सैंज मनेरी में सड़क पर मलबा आ गया। इससे करीब 50 वाहनों में सवार एक हजार से अधिक यात्रियों को भूस्खलन के खतरे और उफान मारती भागीरथी के बीच दहशत के साये में पूरी रात बितानी पड़ी। बृहस्पतिवार सुबह यहां दोनों ओर करीब सात किमी हिस्से में 900 यात्री वाहनों में 15 हजार से अधिक तीर्थयात्री फंसे रहे। दोपहर साढ़े बारह बजे सड़क खुलने पर ही यात्रियों को राहत मिली।
श्रीनगर में मूसलाधार बारिश से सात गदेरे और श्रीकोट गैस गोदाम से लेकर स्वीत पुल तक बने नाले उफान पर आ गए। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग रात दो बजे मलबा आने से अवरुद्ध हो गया। इस वजह से बदरीनाथ-केदारनाथ जाने वाले यात्री करीब 11 घंटे जाम में बीच में फंसे रहे। प्रशासन सुबह आठ बजे मौके पर पहुंचा। डीजीबीआर के श्रमिकों ने दोपहर 12 बजे बाद कई जगहों से मलबा हटाकर सड़क को साफ कराया। दोपहर एक बजे के बाद यातायात बहाल हो पाया। देवप्रयाग और कीर्तिनगर के बीच मूल्यागांव के पास मार्ग रात को दो बजे बंद हुआ जो सुबह नौ बजे तक बाधित रहा। पौड़ी-देवप्रयाग मार्ग भी सुबह नौ बजे के बाद खुल पाया।
नहीं भूलेगी यह भयानक रात
उत्तरकाशी। बुधवार की रात सैंज मनेरी भूस्खलन वाले हिस्से में फंसे रहे पालगढ़ महाराष्ट्र के मंगेश भाई, हैदराबाद के श्रीकांत आदि बुजुर्ग तीर्थयात्रियों ने कहा कि इस भयानक रात को हम जीवनभर नहीं भुला सकते। छोटे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग यात्री भूखे-प्यासे रात भर फंसे रहे, लेकिन शासन-प्रशासन ने उनकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। ऐसा लगता है कि यहां सब कुछ भगवान भरोसे है।
सड़क बंद होने की नहीं दी सूचना
उत्तरकाशी। जाम में फंसे मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश के पूर्व विधायक अशोक कंसल ने बताया कि हम सुबह चार बजे उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए निकले। पुलिस प्रशासन ने कहीं भी हमें मार्ग बंद होने की सूचना नहीं दी। गांधीनगर गुजरात के रमेश भाई, लखनऊ के प्रवीण महाजन आदि तीर्थयात्रियों ने कहा कि रास्ते में फंसने पर खाना तो दूर पीने का पानी भी नसीब नहीं हुआ।
भजन-कीर्तन कर बिताया समय
उत्तरकाशी। मार्ग अवरुद्ध रहने के दौरान जहां पुरुष तीर्थयात्रियों ने सड़क किनारे ताश खेलकर समय बिताया, वहीं महिला यात्री भजन-कीर्तन में लगे रहे। इन्हें देखकर मुख्यमंत्री द्वारा बीते वर्ष आपदा प्रभावितों को दी गई भजन कीर्तन की सलाह याद आई।
राजमार्गों के संवेदनशील स्थल
यमुनोत्री पर अगलाड़ पुल, मरोड़, डामटा, रिखाऊंखड्ड, चामी, विल्ला, तुनाल्का, छटांगा, बाडिया, जंगलचट्टी, असनोलगाड तथा गंगोत्री राजमार्ग पर नगुण, धरासू बैंड, नालूपाणी, सिंगोटी, बंदरकोट, बड़ेथी चुंगी, गंगोरी, हीना, भाटुकासौड़, सैंज, मल्ला, भटवाड़ी, चड़ेथी, स्वारीगाड, थिरांग, हेलगूगाड, सुनगर, गंगनानी, डबराणी, सुक्की।
भजन-कीर्तिन से बिताया समय
गोपेश्वर। नंदप्रयाग में लगे चार घंटे के जाम से गुजरात और आंध्र प्रदेश के तीर्थयात्रियों ने अपने वाहन में ही बैठकर भजन-कीर्तिन किए। ‘हे बदरीनाथ तेरा ही आसरा’ जैसे भजनों से तीर्थयात्रियों ने माहौल भक्तिमय कर दिया। गुजरात के विमल भाई ने कहा कि भगवान तक पहुंचने के लिए कई कष्ट उठाने पड़ते हैं। आंध्र प्रदेश के बी रामलिंगम का कहना है कि बदरीनाथ धाम को जाने वाली सड़क की दशा सुधारने की आवश्यकता है। सड़क बंद होने से यात्रा शेड्यूल बिगड़ जाता है। मध्य प्रदेश निवासी राम गोपाल का कहना है कि केदारनाथ मार्ग के गौरीकुंड से गुप्तकाशी तक आने में उन्हें करीब पांच घंटे के जाम का सामना करना पड़ा।