जिला कांगड़ा में कई पंचायतों में महिला प्रधान पंचायत का कामकाज छोड़कर घर चला रही हैं और उनके पति पंचायतों के कार्यों में दखलअंदाजी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, पंचायत सचिव की मौजूदगी में ही अन्य पंचायत सदस्यों को आदेश भी बेखौफ होकर दिए जा रहे हैं, लेकिन पंचायतीराज विभाग इस बात से अंजान बनकर बैठा हुआ है। ऐसे प्रधानों और सचिवों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह मामला जिला परिषद की त्रैमासिक बैठक में जिला परिषद सदस्यों ने एडीसी, जिला पंचायत अधिकारी, जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के समक्ष भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मिलीभगत में पंचायत सचिव भी शामिल हैं, जो सब देखकर भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। महिला प्रधान रसोई घर का चूल्हा-चौका और घर के काम देखने में व्यस्त हैं, वहीं प्रधान के पति खुद प्रधान बन गए हैं।
पंचायतीराज चुनावों में 33 फीसदी महिला आरक्षण होने के कारण उन्हें प्रधान बनाया जाता है, लेकिन वे प्रधान तो बन जाती हैं, लेकिन उसके बाद उनके पति पंचायतों को चलाने का काम कर रहे हैं। जिला कांगड़ा की कई पंचायतों में इस तरह के मामले हैं, जहां महिला प्रधानों के पति खुद उनकी जगह कामकाज निपटाने में जुटे हैं। कुछ ऐसी पंचायतें भी हैं, जहां कुछ लोग बीपीएल की श्रेणी से बाहर हैं फिर भी बीपीएल की सुविधाएं ले रहे हैं। एडीसी कांगड़ा गंधर्वा राठौर ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी।
मामला सामने आने पर सस्पेंड की प्रधान : डीपीओ
पंचायत घर में पति को बैठाने का मामला सामने आने पर कुंदेल पंचायत की महिला प्रधान को सस्पेंड कर दिया गया है। इस तरह की और भी शिकायतें आ रही हैं कि महिला प्रधान के पति पंचायत को चला रहे हैं। इसके बारे में जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। – नीलम कटोच, जिला पंचायत अधिकारी।