
वाशिंगटन: मशहूर सितारवादक पंडित रविशंकर का आज बुधवार को सेन डियागो में निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। रविशंकर का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से खराब था। उनकी गत गुरुवार को कैलीफोर्निया के लॉ जोला स्थित स्क्रिप्स मेमोरियल अस्पताल में हृदय की शल्यक्रिया हुई थी और वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।
रविशंकर को गत सप्ताह उस समय अस्पताल में भर्ती कराया गया था जब उन्होंने सांस लेने में परेशानी की शिकायत की थी। उनकी पत्नी सुकन्या और बेटी अनुष्का शंकर ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा, ‘‘हम बहुत भरे दिल से आपको सूचित कर रहे हैं कि मशहूर संगीतज्ञ पंडित रविशंकर का आज निधन हो गया।’’
वर्ष 1999 में भारत रत्न से सम्मानित रविशंकर के भारत और अमेरिका दोनों जगह आवास थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी सुकन्या, पुत्री नोरा जोंस, पुत्री अनुष्का शंकर राइट तथा अनुष्का के पति जो राइट, तीन पोते पोतियां और चार पड़पोते-पड़पोतियां हैं।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘आप सभी को पता है कि उनका स्वास्थ्य गत कई वर्षों से खराब चल रहा था तथा गत गुरुवार को उनकी एक शल्यक्रिया की गई जिससे उन्हें नया जीवनदान मिलने की संभावना थी। दुर्भाग्य से सर्जन और चिकित्सकों के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद उनका शरीर शल्यक्रिया नहीं झेल सका। जब उन्होंने अंतिम सांस ली तो हम उनके पास ही थे।’’
दोनों ने बयान में कहा, ‘‘हम जानते हैं कि आप सभी इस दुख के समय हमारे साथ हैं तथा हम आप सभी को आपकी प्रार्थनाओं और शुभेच्छाओं के लिए धन्यवाद देते हैं। हालांकि यह दुख की घड़ी है लेकिन यह हम सभी के लिए इस बात के लिए धन्यवाद देने का समय भी है कि हमने उनके साथ अपना जीवन बिताया । उनकी भावना और विरासत हमेशा ही हमारे हृदय और उनके संगीत में बनी रहेगी।’’
रविशंकर फाउंडेशन और ईस्ट वेस्ट म्युजिक की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘‘रविशंकर को गत कुछ वर्षों से श्वास और हृदय संबंधी परेशानियां थीं तथा उनका गत गुरुवार को हृदय का वाल्व बदलने की शल्यक्रिया भी हुई थी। यद्यपि शल्यक्रिया सफल रही लेकिन 92 वर्षीय संगीतज्ञ के लिए इसे झेल पाना मुश्किल रहा।’’ फाउंडेशन ने कहा कि उनके स्मारक निर्माण की योजना की घोषणा बाद में की जाएगी।
तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित रविशंकर ने आखिरी बार गत चार नवम्बर को कैलीफोर्निया में अपनी पुत्री अनुष्का शंकर के साथ प्रस्तुति दी थी। रविशंकर को उनके एल्बम ‘द लिविंग सेशंस पार्ट-1’ के लिए वर्ष 2013 के ग्रैमी पुस्कार के लिए नामांकित किया गया था तथा उस श्रेणी में उनका मुकाबला अनुष्का से था।
भारतीय संगीत का दुनियाभर में प्रचार-प्रसार करने वाले रविशंकर का ‘द बीटल्स’ जैसे पश्चिमी संगीतकारों पर काफी प्रभाव था। हाल के कुछ महीनों में रविशंकर के लिए प्रस्तुति देना विशेष रूप से यात्रा करना मुश्किल हो गया था। यद्यपि स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद उन्होंने गत चार नवम्बर को कैलिफोर्निया के लांग बीच पर पुत्री अनुष्का के साथ प्रस्तुति दी थी।
रविशंकर की आत्मकथा ‘राग मेला’ के लिए अतिरिक्त विवरण मुहैया कराने वाले लेखक एवं संपादक ओलिवर क्रैस्के ने कहा कि कलाकार, संगीतकार और शिक्षक के रूप में रविशंकर शीर्ष स्तर के भारतीय शास्त्रीय कलाकार थे। उन्होंने भारतीय संगीत और संस्कृति का पूरे विश्व में प्रसार करने में प्रमुख भूमिका निभायी।
बंगाली ब्राह्मण रवींद्रशंकर का जन्म सात अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ। वह अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे। उन्होंने अपने जीवन के पहले दस वर्ष बेहद गरीबी में बिताये। उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया गया। वह आठ वर्ष के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। उनके पिता जाने-माने वकील, दार्शनिक, लेखक और झालावाड़ के महाराजा के पूर्व मंत्री थे।
वर्ष 1930 में उनके सबसे बड़े भाई उदय शंकर परिवार को पेरिस ले गए तथा अगले आठ वर्षों तक रविशंकर उदयशंकर की संगीत मंडली में रहे । इस मंडली ने विश्वभ्रमण करते हुए यूरोपीय और अमेरिकी लोगों को भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोकनृत्य से परिचित कराया।
रविशंकर को सबसे अधिक प्रसिद्धि 1960 के दशक में उस समय मिली जब उन्हें हिप्पियों की ओर से स्वीकार किया गया। अपने मित्र जार्ज हैरिसन के प्रभाव और मोंटेरेरी और वुडस्टाक महोत्सवों में हिस्सा लेने के साथ ही बंगलादेश में कंसर्ट में हिस्सा लेने के बाद उनका नाम पश्चिमी देशों के घर-घर में लिया जाने लगा। वह ऐसा नाम पाने वाले पहले भारतीय संगीतज्ञ थे।
रविशंकर ने प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मेनुहिन के साथ अपनी जुगलबंदी की परिकल्पना तैयार करने के अलावा मशहूर बांसुरी वादक ज्यां पियरे रामपाल, प्रसिद्ध शाकूहाची संगीतज्ञ होसन यामामोतो और मुसुमी मियाशिता के लिए भी संगीत तैयार किया था। इसके साथ ही उन्होंने फिलिप ग्यास के साथ भी जुगलबंदी की थी।
हैरिसन ने दो रिकार्ड एल्बम ‘‘शंकर फैमिली एंड फ्रेंड्स’’ और ‘‘फेस्टिवल आफ इंडिया’’ का निर्माण करने के साथ ही उसमें उनके साथ काम किया। इन दोनों एल्बम का संगीत रविशंकर ने तैयार किया।
रविशंकर ने इसके साथ ही भारत, कनाडा, यूरोप और अमेरिका में नृत्य नाटकों और फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया। उन्होंने जिन फिल्मों के लिए संगीत दिया उनमें ‘चार्ली’, ‘गांधी’ और ‘अप्पू ट्रायोलॉजी’ शामिल हैं।
मैगसायसाय पुरस्कार सम्मानित रविशंकर को वर्ष 1986 में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत की महानता में विश्वास करते थे तथा करिश्माई व्यक्तित्व एवं असाधारण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने भारतीय संगीत को पश्चिमी जगत में पहुंचाने का अपना सपना पूरा करने का प्रयास किया।
1950 के दशक के शुरुआती और 1960 दशक के मध्य रविशंकर भारतीय संगीत के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय दूत बने। उन्होंने वर्ष 1954 में सोवियत संघ में एकल कलाकार के रूप में प्रस्तुति दी। उन्होंने 1956 में उत्तर अमेरिका और वर्ष 1958 में जापान में प्रस्तुति दी।
उन्होंने सितार की ऐसी विशिष्ट आवाज विकसित की जिसमें शक्तिशाली बास नोट्स और राग के आलाप में बहुत ही पवित्र और आध्यात्मिक स्पर्श का आभास होता था। उन्होंने कर्नाटक संगीत का उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत में मिश्रण किया खास तौर पर उसकी ताल की गणितीय संरचना को शास्त्रीय संगीत में शामिल किया। इसके साथ ही प्रस्तुतियों में संगत करने वाले तबला वादकों को भी उन्होंने प्रमुख कलाकार के तौर पर तरजीह दिलायी।
उन्हें इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन में संगीत निदेशक नियुक्त किया गया और बाद में वह आकाशवाणी में (1949-1956) इसी पद पर रहे।
उन्होंने अपना पहला राग वर्ष 1945 में तैयार किया और अपने सफल रिकार्डिंग करियर की शुरुआत की। रविशंकर ने मोहम्मद इकबाल के देशभक्ति गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ के लिए एक नया संगीत भी तैयार किया।