
भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा है कि उनके संस्थान के लिए महंगाई का मौजूदा स्तर गंभीर चिंता का विषय है। आरबीआई 18 दिसंबर को मौद्रिक एव ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा करने वाला है। गोकर्ण का बयान ऐसे समय आया है जब जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर कमजोर होकर 5.3 प्रतिशत रह जाने से बैंक की ओर से नीतिगत दरों में कटौती की अपेक्षा की जा रही है।
गोकर्ण ने कहा कि मुद्रास्फीति अभी तक ऊंची बनी हुई है। नीतिगत दरों में कटौती करने भर से सब कुछ ठीक नहीं होने वाला है। ऐसा कुछ किया भी गया तो हो सकता है कि कुछ समय के लिए अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल जाए लेकिन आगे चलकर यह मंहगाई को और भी बढ़ा सकता है। ऐसे में मंहगाई को नियंत्रित करना बैंक की प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि वह इस हक में नहीं हैं कि यदि एक समाधान कारगर नहीं हो पा रहा है तो उसके विपरीत उपायों को चुना जाए। इससे मंहगाई नियंत्रित करने के प्रयास निष्फल हो जाएंगे। इस बीच आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि अक्टूबर में 7.45 प्रतिशत पर रही मंहगाई दर को देखते हुए यह गुंजाइश बहुत कम रहती है कि 18 दिसंबर को मौद्रिक नीति की मध्यावधि समीक्षा में आरबीआई नीतिगत दरों में कोई बदलाव करेगा।