पीटीए शिक्षकों के लिए बनेगी ठोस नीति

शिमला : हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लंबे अरसे से अपनी सेवाएं दे रहे हजारों पीटीए शिक्षकों के लिए राहत की खबर है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद छठी बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित मंत्रिमंडल की पहली बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में पीटीए अध्यापकों को नियमित करने के लिए नीति अपनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि पिछले 5 वर्षों के दौरान बंद किए गए अधिसूचित विद्यालयों के मामले पर भी विचार किया जाएगा। नई सरकार के इस फैसले से स्कूलों में सेवाएं दे रहे 6810 पीटीए शिक्षकों में खुशी की लहर है।

गौरतलब है कि पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2004 के दौरान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी। इसके तहत शुरूआत में इन शिक्षकों को स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों से पैसे लेकर वेतन दिया जाता था। इसके बाद 29 जून, 2006 से कांग्रेस सरकार ने पीटीए शिक्षकों को वेतन का भुगतान करने के लिए ग्रांट इन एड पॉलिसी की शुरूआत की। इसके तहत वेतन का पैसा सरकार से मिलना शुरू हुआ लेकिन पीटीए शिक्षकों को इस व्यवस्था के बावजूद भी समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था जिस कारण उन्हें भारी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा। इस संबंध में शिक्षकों ने कई बार आंदोलन भी किए और इसका स्थायी हल निकालने की मांग पूर्व भाजपा सरकार के समक्ष भी रखी लेकिन इसके बावजूद कोई हल नहीं निकला, वहीं अब मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद पीटीए शिक्षकों के लिए राहत की खबर है।

मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय से सभी पीटीए शिक्षकों में खुशी की लहर है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वायदा किया था कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही पीटीए शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया जाएगा जोकि उन्होंने पूरा किया है। संघ को उम्मीद है कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी का निर्माण किया जाएगा और जिन पीटीए शिक्षकों को निकाला गया था उन्हें भी बहाल किया जाएगा। पीटीए शिक्षक जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें धन्यवाद करेंगे।
विवेक मेहता, अध्यक्ष पीटीए अध्यापक संघ

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