जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र पर ताला

चंबा। जिले के मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया करवाने की योजना विफल हो गई है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के तहत कुछ सस्ती दवाओं को सीधे मरीजों तथा आरकेएस तक पहुंचाने के लिए जन औषधि केंद्र खोलने की योजना बनाई गई थी। इस योजना के तहत जिला अस्पताल में भी जन औषधि केंद्र खोला गया था। यह केंद्र महज चार माह में ही दम तोड़ गया। हैरानी की बात है कि इस केंद्र को फेल करने में जिला अस्पताल की भूमिका भी अहम रही है। इस केंद्र का संचालन कमीशन के आधार पर तैनात फार्मासिस्ट के जरिये किया जाता है। इस केंद्र से जिला अस्पताल की आरकेएस ने तो दवाएं ही नहीं खरीदीं, ऊपर से डाक्टरों ने भी मरीजों को यहां की दवाएं लिखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। चार माह में कुछ अस्पतालों की आरकेएस ने महज चार लाख रुपये की दवाएं ही खरीदीं थीं। इससे फार्मासिस्ट के लिए खर्चा चलाना मुश्किल हो गया और उसने हाथ खड़े करना ही उचित समझा। अब फार्मासिस्ट काम छोड़ कर चला गया है और करीब तीन हफ्तों से जन औषधि केंद्र पर ताला लगा है। सूत्र बताते हैं कि जिला अस्पताल से चार माह में मात्र तीन सौ रुपये की दवाएं ही खरीदी गई थीं। ऐसे में चार फीसदी कमीशन पर तैनात फार्मासिस्ट के लिए चाय-पानी तक का खर्च निकालना मुश्किल हो गया था। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डा. डीएस चंदेल को भी अवगत कराया गया था, उन्होंने इस केंद्र को किसी भी हाल में फेल न होने देने और डाक्टरों को यहां की दवाएं लिखने के निर्देश दिए जाने की बात की थी। इसके बावजूद यह केंद्र बंद हो गया है।
उधर, सीएमओ डा. राकेश वर्मा का कहना है कि फार्मासिस्ट ने निजी कारण से इस्तीफा दिया है। जनऔषधि केंद्र का दोबारा टेंडर किया जाएगा। इस केंद्र के पास हर किस्म की दवाएं नहीं मिल पाती हैं। उन्होंने कहा कि ऊपरी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं कि यहां केंद्र सरकार की कंपनियों की दवाओं के अलावा हर किस्म की दवाएं आएं।

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