
नेरवा (शिमला)(अंकेश सूद ) प्रदेश के सबसे बड़े वन क्षेत्र चौपाल में जंगलों की सुरक्षा राम भरोसे चल रही है। यहां की 73 वन बीट में से 25 में तो कोई भी वन रक्षक तक तैनात नहीं है। ऐसे में लोग वनों को काट कर वहां सेब के बाग लगा रहे हैं। उत्तरांचल के साथ लगती सीमा पर जंगल काट कर लकड़ी की तस्करी हो रही है। हालांकि, लकड़ी तस्करी को रोकने के लिए जमराड़ी में पुलिस चौकी भी खोली गई है। लेकिन वन विभाग में स्टाफ की कमी के चलते पुलिस भी लकड़ी की तस्करी को रोकने में असफल रही है।
वन निगम के दो तथा टेरिटोरियल का एक मंडल है। इसके तहत सात वन रेंज आते हैं। सालभर में सभी वन क्षेत्रों का दौरा करना वन विभाग के कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है। उत्तरांचल से सटे चौपाल वन विभाग के पास तस्करी रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं है। यहां एक तो वन विभाग के कर्मचारी कम हैं वहीं तस्करों से निपटने के लिए कोई हथियार तक नहीं हैं। हालांकि, उत्तरांचल की सीमा जमराड़ी में पुलिस चैक पोस्ट बनाई गई है। बावजूद इसके लकड़ी की तस्करी पर रोक लगाना आसान नहीं है। लोगों जहां पेड़ काट कर लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं, वहीं वन क्षेत्र में सेब के बाग लगाए जा रहे हैं।
इधर, एसीएफ चौपाल लाहौर सिंह ने कहा कि अवैध कटान और लकड़ी की तस्करी को रोकने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे है।ं उधर, चौपाल थाना प्रभारी कांशी राम और नेरवा थाना प्रभारी गुलाम अकबर ने बताया कि पुलिस चौपाल उपमंडल में लकड़ी और वन्य प्राणी तस्करों को पकड़ने के लिए मुस्तैद है। लकड़ी तस्करों से निपटने के लिए उत्तरांचल सीमा के साथ जमराड़ी में भी पुलिस चैक पोस्ट खोल दी गई है।