
पर्वतीय क्षेत्र के लोग जंगलो में घूम घूमकर गुच्छी ढूंढने के लिए सारा सारा दिन भटकते है ।अब आएगा नया बदलाव आजीविका कमाने के खुलेंगे नए रास्ते ।
ऊंचाई वाले जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली गुच्छी अब बंद कमरे में भी तैयार हो सकेगी। खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) की ओर से पिछले पांच वर्षों से किया जा रहा शोध सफल हो गया है। निदेशालय का इस वर्ष का यह दूसरा सफल शोध है। प्राकृतिक और कमरे में उगाई गई गुच्छी की गुणवत्ता भी समान है। वहीं अंतिम शोध में गुच्छी (मोर्केला) की बंपर फसल निकली है।
जानकारी के अनुसार जंगलों में प्राकृतिक तौर पर गुच्छी उगती है। यही गुच्छी करीब 25 से 30 हजार रुपये तक प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। गुच्छी का निर्यात भी किया जाता है। डीएमआर के विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक प्रदेश में करीब साढ़े छह हजार फुट से अधिक की ऊंचाई में गुच्छी देवदार, कायल आदि के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है।