
धर्मशाला। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा का दौ सौ साल पुराना राजस्व रिकार्ड ढूंढना खतरे से कम नहीं है। रिकार्ड रूम खस्ताहाल है और यहां पर हमेशा अंधेरा पसरा रहता है। यहां के बल्ब फ्यूज हैं और कर्मचारियों को मोबाइल की टार्च की मदद से ‘सर्च आपरेशन’ करना पड़ता है। रिकार्ड रूम की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि बारिश के कारण पानी का रिसाव होने से रिकार्ड गलना शुरू हो गया है। काफी पुराने रिकार्ड को दीमक ने टुकड़े-टकड़े भी कर दिया है। हालांकि राजस्व विभाग ने रिकार्ड को कपड़े में लपेटकर रखा है। इसके बावजूद पुराना रिकार्ड धीरे-धीरे गायब होना शुरू हो गया है। पुराने रिकार्ड की तलाश में कर्मचारी भी जाने से कतराते हैं।
लाइट की सही व्यवस्था न होने के कारण अंधेरी काल कोठरी में कर्मचारियाें को रिकार्ड तलाश करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। शाम के समय तो कर्मचारियों को रिकार्ड मोबाइल की धीमी रोशनी में तलाश करना पड़ता है। रिकार्ड रूम में लगे कुछेक बल्ब ही जल रहे हैं। इससे पूरे रिकार्ड रूम में सही तरीके से रोशनी नहीं हो पाती। बताया जा रहा है कि कर्मचारी सांप और बिच्छुओं के डर से भी अंदर जाने से डरते हैं। इस कारण हर रोज रिकार्ड निकालने के लिए जिलाभर से लोग आते हैं, मगर उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ता है। रिकार्ड रूम में वर्र्षों पुराना राजस्व रिकार्ड है। फिलहाल, इस रिकार्ड को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कवायद भी चल रही है। लेकिन, अभी तक रिकार्डको सुरक्षित जगह पर शिफ्ट नहीं किया गया है। लंबे अरसे से फ्यूज बल्बों को भी नहीं बदला गया है। साफ मौसम रहने पर तो रिकार्ड तलाश करना थोड़ा आसान है, मगर बारिश और खराब मौसम में रिकार्ड रूम में अंधेरा ही अंधेरा छाया रहता है। इससे सैकड़ों लोग अपनी भूमि का राजस्व रिकार्ड प्राप्प्त नहीं कर पा रहे हैं।
उधर, जिला राजस्व अधिकारी नरेश कुमार ठाकुर ने बताया कि बल्ब लगाने के लिए आर्डर कर दिए गए हैं। रिकार्ड को बचाने के लिए जल्द ही रिकार्ड को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा।