कृषि विवि व इकारडा मिलकर करेंगे शोध

पालमपुर : कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर तथा सीरिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्र कृषि अनुसंधान केंद्र (इकारडा) कृषि क्षेत्र में शोध के लिए आपसी सहयोग करेंगे। सीरिया के अलेप्पो स्थित इकारडा व यूनिवर्सिटी में इस बारे सहमति बनी है। इकारडा विश्वभर के शुष्क क्षेत्रों में कृषि उत्पादन प्रणाली में निरंतरता बनाए रखने व इन क्षेत्रों के किसानों की आजीविका बढ़ाने के साथ उनके पोषण व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है।

इकारडा ने हरमाया व इथोपिया विश्वविद्यालय के पीएचडी अध्येता फिकरुमैकोनेन को कृषि विश्वविद्यालय से अनुसंधान सांझेदारी के लिए नामांकित किया है। फिकरुमैकोनेन इकारडा केंद्र में मसूर दाल विशेषज्ञ डा. शिव अग्रवाल के मार्गदर्शन में अनुसंधान कर रहे हैं। डा. अग्रवाल 2 माह तक कृषि विश्वविद्यालय में अपने शोध को आगे बढ़ाएंगे। डा. टीआर शर्मा व उनकी टीम के नेतृत्व में फिकरुमैकोनेन मसूर दाल के जीनोम व मॉलीक्यूलर प्रजनन के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। मैकोनेन इथोपिया के मसूर का जैनेटिक अध्ययन व रतुआरोधी क्षेत्रीय गुणों का अध्ययन करने के इच्छुक हैं।

कृषि विश्वविद्यालय के कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इकारडा तथा आस्टे्रलिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान को शोध में सहयोग हेतु वित्तीय स्वीकृति के लिए अनेक प्रस्ताव भेजे हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य विश्व में कुपोषण खत्म करने तथा मसूर उत्पादन बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एसके शर्मा ने विश्वविद्यालय व इकारडा के वैज्ञानिकों की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अनुसंधान के दायरे को बढ़ाता है तथा सहभागी संस्थानों के लिए भी उपयोगी रहता है। उन्होंने कहा कि चूंकि हिमाचल में कृषि मुख्यता वर्षा आधारित है तथा इकारडा शुष्क क्षेत्रों में कृषि पर कार्य कर रहा है, ऐसे में इन दोनों संस्थानों का परस्पर सहयोग प्रदेश के किसानों के लिए लाभप्रद रहेगा।

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