देश में सख्त मेडिकल कानून होने के बाबजूद भी नहीं रुक रहा किडनी तस्करो का अवैध कारोबार । मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की ओर से किडनी ट्रांसप्लांट के खुलासे के बाद मेडिकल इंड्रस्ट्री में हड़कंप है। गुरुग्राम सिटी का नाम लेकर बांग्लादेश के मरीजों को जाल में फंसाया जाता था। उन्हें सेक्टर-39 के आलीशान गेस्ट हाउस में ठहराकर सारी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थीं। मरीज को पहले गुरुग्राम के नामी अस्पताल का हवाला देकर बरगलाया जाता था। बाद में उसी अस्पताल की जयपुर ब्रांच में उनका किडनी ट्रांसप्लांट कराया जाता था। किडनी डोनर शमीम ने बताया कि वह बांग्लादेश में मोबाइल की दुकान चलाता है। फेसबुक पर किडनी प्रत्यारोपण का विज्ञापन देखकर उसने रांची निवासी मोहम्मद मुर्तजा अंसारी नामक एजेंट से संपर्क किया था।
बांग्लादेश के रहने वाले मेहंदी मजूमदार ने बताया कि उनके कई जानकार मो. मुर्तजा अंसारी के माध्यम से हिन्दुस्तान में किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके हैं। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के एक अधिकारी ने बताया कि 10 से 20 लाख रुपये के बीच में ट्रांसप्लांट कराने वालों से लिया जाता था। दलाल के माध्यम से ही किडनी देने वालों का चयन किया जाता था। जिन्हें मामूली रकम देकर तैयार किया जाता था। उनका ब्लड ग्रुप व अन्य जांच होने के बाद ही मेडिकल वीजा के माध्यम से हिन्दुस्तान लाया जाता था। अभी तक यह बात सामने आई है कि जिन लोगों ने अपनी किडनी दी है, उन्हें कोलकाता के मेडिकल वीजा पर भारत लाया जाता था। डीसीपी ईस्ट डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक टीम को जयपुर के लिए फोर्टिस अस्पताल भेजा जा रहा है।