ईरान में बलात्कारियों को सरेआम फांसी, भारत में कब?

नई दिल्ली (वीरेन्द्र खागटा)दिल्ली में चलती बस में मेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद भड़के जनाक्रोश से सरकार भले ही सहम गई हो, लेकिन बलात्कारियों को फांसी देने पर वह अभी भी फैसला नहीं ले पाई है। वहीं ईरान ने दुष्कर्म के आरोपियों को सरेआम फांसी देकर एक उदाहरण पेश किया है।

अब यह सवाल उठता है कि ईरान और अन्य इसलामिक देशों में महिलाओं में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए सरेआम फांसी दी जा सकती है। तो ऐसे में क्या भारत में कानून में बदलाव कर बलात्कार करने वालों के खिलाफ फांसी अथवा कड़ी सजा का प्रावधान किया जा सकता है?

उल्लेखनीय है कि ईरान के दक्षिण पश्चिमी शहर यासोउज में बलात्कार के पांच दोषियों को एक पार्क में सरेआम फांसी दी गई। पांचों में से चार ने एक महिला को उसके मंगेतर के पास से उठा लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। वहीं पांचवां शख्स एक अन्य महिला के साथ दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया था।

सबसे अहम बात यह है कि सजा-ए-मौत पाने वाले सभी दोषियों की आयु 30 वर्ष के आसपास है। वैसे भी ईरान के कानून में मादक पदार्थो की तस्करी, हत्या, यौनाचार, दुष्कर्म और डकैती के आरोपियों को पत्थर मार कर मौत की सजा देने का प्रावधान है।

सवाल- क्या आपको लगता है कि ईरान की तरह भारत में भी बलात्कारियों को सरेआम फांसी दी जानी चाहिए?

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