ब्रिटेन से अंग्रेज अपने या अपने पुरखों के फुट प्रिंट ढूंढने हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला आ रहे हैं। ऐसे कई अंग्रेज भी पहुंच रहे हैं, जो भारत की आजादी के एक या डेढ़ दशक बाद भी यहां जन्मे। पिछले दिनों इंग्लैंड का एक व्यक्ति पत्नी सहित शिमला घूमने आया। वह शिमला सेनीटेरियम अस्पताल से अपने जन्म के बाद के फुट प्रिंट और अपनी मां के थंब इंप्रेशन अपने साथ ले गया। ब्रिटिशकाल के दौरान शिमला भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। आजादी के बाद अंग्रेजों को शिमला से इंग्लैंड लौटने में वक्त लग गया।
कई यहां सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी थे। डेविड जैसे कई अंग्रेज आजाद भारत में जन्मे। डेविड का जन्म 1955 में शिमला सेनीटेरियम अस्पताल चौड़ा मैदान में हुआ था। उस वक्त डेविड के दोनों पांवों के फुट प्रिंट और उसकी मां के अंगूठे के निशान लिए गए थे। डेविड का नामकरण भी क्राइस्ट चर्च शिमला में हुआ था। यहां भी संबंधित रिकॉर्ड मौजूद है। यह व्यक्ति सेनीटेरियम अस्पताल और चर्च से अपना रिकॉर्ड ले गया।
वह साउथ लंदन में रह रहा है। सब मरीन इंजीनियर डेविड अपनी पत्नी बेव बटन के साथ शिमला आया। बेव बटन अपाहिज है और वह यहां व्हील चेयर पर लाई गई। डेविड के पिता माइकल बटन की उम्र 96 साल हो चुकी है। वह अपने दो वर्षीय बेटे डेविड के साथ 1957 में लंदन लौटे थे। वह शिमला के स्कैंडल प्वाइंट स्थित ग्रीनलेज बैंक में प्रबंधक थे।
पर्यटन प्रबंधक दिनेश झांगटा ने बताया कि डेविड पत्नी सहित शिमला में चार दिन रहे और उसके बाद वह इंग्लैंड चले गए। इस तरह से बहुत से पर्यटक ब्रिटेन से शिमला पहुंचते हैं, जो अपने जड़ों को खोजते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से ऐसे पर्यटकों की आवाजाही कम हो गई थी, मगर अब फिर आने लगे हैं।