आपदा से निपटने के लिए तैयार किया प्लान, अब दिया जा रहा है युवाओ को प्रशिक्षण

आपदा से निपटने के लिए तैयार किया प्लान, अब दिया जा रहा है युवाओ को प्रशिक्षण

आपदा के दौरान राहत कार्य में मदद करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने 22,732 वालंटियर को प्रशिक्षण दिया है। 6 योजनाओं के अंतर्गत एसडीएमए ने युवाओं, मिस्त्रियों, रेडियो ऑपरेटरों और आपदा मित्रों को प्रशिक्षण दिया गया है। योजना के तहत हर पंचायत में 10 से 20 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने की योजना है। इससे भूकंप, आग, भूस्खलन, हिमस्खलन, बाढ़ जैसी घटनाओं के दौरान स्वयंसेवक प्राथमिक उपचार और राहत कार्य कर सकेंगे।

सभी 12 जिलों में 19,618 युवाओं को सेना, एसडीआरएफ, पुलिस, वन और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने 15 दिन के शिविर में प्रशिक्षण दिया है। इस टास्क फोर्स का काम आपदा के दौरान लोगों को प्राथमिक चिकित्सा मुहैया करवाना, मशीनों के आने के लिए मलबा हटाना, आपदा में प्रशासन को सही सूचना देना और लोगों में घबराहट को कम करना है। साथ ही टास्क फोर्स को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान प्रशासन की मदद करने के तरीकों के बारे में भी बताया गया है। राज्य सरकार की आपदा मित्र योजना के तहत प्रदेश में 1500 स्वयंसेवकों को भी प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा प्रदेश के हर शैक्षिक संस्थान और चिकित्सा केंद्र के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण दिया गया है कि किसी भी आपदा की स्थिति में क्या करना चाहिए।

स्वयंसेवकों को प्राथमिक चिकित्सा, बचाव कार्य, राहत सामग्री वितरण और आपदा के बाद पुनर्वास का प्रशिक्षण दिया गया है। स्वयंसेवकों को वास्तविक जीवन परिदृश्यों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है ताकि वे संकट के समय में संयम और कुशलता से कार्य कर सकें।

आपदा में मिलेगी मदद
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य समुदायों को अधिक आत्मनिर्भर बनाना और आपदा के समय में तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करना है। प्रशिक्षित स्वयंसेवक न केवल अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, बल्कि वे आसपास के लोगों की भी सहायता करते हैं। इस पहल से समाज में सुरक्षित और संगठित तंत्र का निर्माण होगा, जो आपदा के समय में प्रभावी सहायता दे सकता है- डीसी राणा, निदेशक-सह-विशेष सचिव, (राजस्व और आपदा प्रबंधन)

1494 मिस्त्री संभालेंगे कमान

ग्रामीण इलाकों में 1494 मिस्त्रियों को एसडीएमए और हिप्पा के अधिकारियों ने प्रशिक्षण दिया है। इन्हें आपदा के दौरान सही तरीके से चट्टानों को तोड़ने और सुरंगें खोदने के लिए 5 दिन का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे दबे हुए लोगों को बचा सकें। साथ ही इन्हें घर बनाने के दौरान सही निर्माण तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक निर्माण श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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