हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग पर 10 लाख रुपये की कॉस्ट लगाकर आयोग की हेकड़ी उतारी

हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग पर 10 लाख रुपये की कॉस्ट लगाकर आयोग की हेकड़ी उतारी

शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर पर 10 लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है। किसी सरकारी संस्था की लापरवाही पर पहली बार इतनी बड़ी कॉस्ट लगाई गई है। आयोग के दोहरे और टकराववादी रवैये पर यह कार्रवाई की गई है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने आयोग को आदेश दिए हैं कि कॉस्ट की राशि 22 अगस्त तक अदालत में जमा कराई जाए। यह राशि किसे दी जाएगी, इस बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा।

कहा कि आयोग ने टकराववादी रवैया याचिकाकर्ता के साथ ही नहीं बल्कि अदालत के साथ भी अपनाया है। यह वास्तव में पीड़ादायक है। आयोग के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले मुख्य रूप से समाज के कमजोर तबके के होते हैं। सरकारी नौकरी पाना उनका सपना होता है। हालांकि, अगर उनके सपनों को कठोर रवैये से कुचल दिया जाता है, तो भर्ती एजेंसियों को केवल भगवान ही बचा सकते हैं।

आयोग को फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि पहले आयोग ने प्रमाण पत्र मिलने से इनकार कर दिया था। जब अदालत में यह साबित हो गया कि याचिकाकर्ता ने नया प्रमाण पत्र समय रहते जमा कर दिया था, तब आयोग की ओर से दोहरा और टकराववादी रवैया अपनाया गया।

फार्मासिस्ट की नौकरी के लिए नहीं दिया था एक अंक
याचिकाकर्ता कुलविंदर सिंह ने आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के लिए आवेदन किया था। भूमिहीन प्रमाण पत्र में खामी निकालकर आयोग ने उसे एक अंक नहीं दिया था। याचिकाकर्ता के अंकों का मूल्यांकन 23 सितंबर, 2017 को तय किया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश किया गया भूमिहीन प्रमाण पत्र तहसीलदार अंब ने प्रति हस्ताक्षरित किया था।

अधिसूचना के अनुसार भूमिहीन प्रमाण पत्र तहसीलदार ही जारी कर सकता है। आयोग ने याचिकाकर्ता को नया प्रमाण पत्र जमा करवाने के लिए सात दिन का समय दिया था। समय पर नया प्रमाण पत्र जमा न करने पर आयोग ने याचिकाकर्ता को एक अंक से वंचित कर दिया था। हालांकि, अदालत ने मामले में पाया कि याचिकाकर्ता ने समय पर प्रमाण पत्र जमा कर दिया था।

गलेक्सी आईटीआई पर लगाया दो लाख रुपये का जुर्माना
प्रदेश हाईकोर्ट ने गलेक्सी आईटीआई पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हिमुडा कॉलोनी पांवटा साहिब में चल रहे गलेक्सी आईटीआई पर नियमों के विपरीत कार्य करने पर यह कार्रवाई की गई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने प्रशिक्षण महानिदेशालय के पास जुर्माना राशि एक हफ्ते में जमा करवाने के आदेश दिए हैं।

दरअसल, प्रशिक्षण महानिदेशालय की अनुमति के बिना ही गलेक्सी आईटीआई ने कांप्लेक्स बदल दिया था। 15 जून, 2022 को इस गलती के लिए प्रशिक्षण महानिदेशालय ने गलेक्सी आईटीआई की संबद्धता रद्द कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने संयुक्त जांच टीम को निरीक्षण के आदेश दिए थे।

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि गलेक्सी आईटीआई प्रशिक्षण महानिदेशालय के सभी मापदंडों को पूरा करता है। अदालत ने प्रशिक्षण महानिदेशालय के 15 जून, 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है। अदालत ने प्रशिक्षण महानिदेशालय को आदेश दिए कि वह जुर्माना राशि जमा होने पर गलेक्सी आईटीआई की संबद्धता बरकरार रखे।

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