प्रदेश के बागवानों ने सुक्खू सरकार से लगाई थी उनके उत्थान की उम्मीद । पर बजट पेश होते ही हाथ लगी निराशा ।
सत्ता में आने से पहले सरकार ने बागवानों के हितों के रक्षा की बात कही थी। हालांकि, सीए स्टोर के निर्माण को लेकर फल उत्पादक थोड़ी राहत जरूरत महसूस कर रहे हैं। अब बागवान यह सवाल उठाने लगे हैं कि उनसे जुड़े अन्य मामले कब सुलझेंगे। पिछली सरकार ने भी बागवानी नीति बनाने की बातें ही कही थीं। अब नई सरकार ने भी नीति बनाने के नाम पर झुनझुना थमाया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में कार्टन पर छूट का कोई जिक्र नहीं किया। पिछले साल बागवानों को जीएसटी में थोड़ी राहत देने की बात जरूर कही थी, लेकिन इसका लाभ बागवानों को नहीं मिला था। बागवानों को आस थी कि बजट में कीटनाशकों और फफूंद नाशकों पर सरकार उपदान बढ़ाएगी। यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। बागवानों से मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत खरीदे सेब के बकाया 84 करोड़ के भुगतान का बजट में कोई जिक्र नहीं किया गय। बागवान लंबे समय से बकाया राशि के भुगतान लिए सरकार से टकटकी लगाए हैं। गुठलीदार फलों की एमआईएस में खरीद के लिए कोई प्रावधान नहीं किया, जबकि प्रदेश में हर साल करीब 500 से 700 करोड़ का कारोबार होता है।
बागवानों के मुद्दे बजट से अछूते रह गए
प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष और प्रगतिशील बागवान हरीश चौहान कहते हैं कि सेब कार्टन पर जीएसटी नहीं घटाया गया। कीटनाशकों और फफूंद नाशकों में वर्ष 1994 के तहत उपदान दिए जा रहे हैं, जबकि ये दवाएं महंगी हो गई हैं। बागवानी नीति कब बनेगी, कोई जिक्र नहीं किया। गुठलीदार फलों की खरीद की कोई योजना नहीं है। यूनिवर्सल कार्टन लागू करने पर बजट में कोई प्रावधान नहीं है।
कृषि, बागवानी के हित में है बजट : विजय
नौणी विश्वविद्यालय सोलन के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार का बजट कृषि-बागवानी के हित में है। वर्तमान में प्रदेश में सीए स्टोर निजी कंपनी के पास ही हैं। इनमें वह स्वयं खरीदा उत्पाद ही रखती है। यदि सरकार इसे इस वर्ष में तैयार करती है तो इससे बागवानों को सीधा लाभ मिलेगा। इसमें रखे फल छह से आठ माह तक रखे जा सकते हैं। बागवान ऑफ सीजन में भी अपने उत्पाद को अच्छे दामों में बेच सकेंगे। इसके अलावा प्रदेश में अधिकतर किसान दूध का भी कारोबार करते हैं। शराब की बोतल में मिल्क सेस लगाने का निर्णय सही है। प्रदेश के विद्युत प्रोजेक्टों से निकलने वाले पानी का कृषि में प्रयोग करना भी सरहानीय निर्णय है। एक वर्ष के लिए पेश किया गया है बजट कुल मिलकार कृषि-बागवानी के लिए सरहानीय है।