शिमला टोल्ज कंपनी ने हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

शिमला टोल्ज कंपनी ने हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

शिमला के पास लिफ्ट कार पार्किंग की बिजली- पानी बंद करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मैसर्ज शिमला टोल्ज कंपनी ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी है। नगर निगम शिमला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक करोड़ रुपये की अदायगी के बाद ही कार पार्किंग में बिजली- पानी की आपूर्ति सुचारु की जाएगी। अदालत को बताया गया कि मैसर्ज शिमला टोल्ज कंपनी ने 21 जनवरी को 25 लाख रुपये की राशि निगम के पास जमा करवाई है। बाकी की 75 लाख रुपये की राशि कुछ ही दिनों में जमा करवा दी जाएगी। अदालत ने निगम के इस बयान को दर्ज करते हुए कंपनी की याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।

गत तीन जनवरी को नगर निगम शिमला ने कंपनी को नोटिस जारी किया था। कार पार्किंग का अवैध निर्माण करने पर बिजली- पानी की आपूर्ति बंद किए जाने का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस को कंपनी ने याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि कंपनी ने निगम की देय राशि से भुगतने के लिए यह याचिका दायर की है। अदालत ने पाया था कि कंपनी ने अभी तक निगम को एक भी पैसा अदा नहीं किया है।

सार्वजनिक-निजी भागेदारी में बनी है लिफ्ट कार पार्किंग
शिमला की लिफ्ट कार पार्किंग सार्वजनिक-निजी भागेदारी में बनी है। इसके अनुबंध में कंपनी को ही नियमों में इसका निर्माण करना था और इसे तब तक चलाना था, जब तक इसकी निर्माण लागत पूरी नहीं हो जाती। उसके बाद कंपनी को यह पार्किंग निगम को स्थानांतरित करनी पड़ेगी। कंपनी ने एक तो नियमों के विपरीत इसका निर्माण किया और दूसरा, निगम के पास अभी तक एक भी पैसा जमा नहीं करवाया।

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