विपक्षी दल जैसे ही केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं उन्हें CBI और ED केटारगेट पर लिया जाता है : खरगे

विपक्षी दल जैसे ही केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं उन्हें CBI और ED केटारगेट पर  लिया जाता है : खरगे

दो दशकों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आए विपक्षी नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सोनिया गांधी से लेकर मनीष सिसोदिया तक, अनेक बड़े नेता जांच एजेंसी के फेर में आ चुके हैं। यूपीए के शासनकाल (2004-2014) में सीबीआई ने जिन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया, उनमें विपक्ष के नेताओं की संख्या लगभग 60 फीसदी थी। उस उस दौरान 72 नेताओं को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा। इस हिसाब से जांच के दायरे में आए 43 नेता, विपक्षी दलों के थे। एनडीए सरकार में यह संख्या बढ़कर 95 फीसदी तक पहुंच गई है। 2014 से लेकर गत वर्ष तक लगभग 125 बड़े नेता सीबीआई जांच के फेर में आए हैं। खास बात है कि इनमें से लगभग 120 नेता विपक्षी दलों के हैं। ईडी का रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही है। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय एजेंसी ‘ईडी’ के 112 छापे पड़े थे। कांग्रेस के मुताबिक, एनडीए सरकार यानी पीएम मोदी की सरकार में ईडी की 3010 से अधिक छापेमारी हुई हैं।

यूपीए में लगभग 43 विपक्षी नेताओं से की पूछताछ … 

यूपीए सरकार में सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे कई बड़े मामलों की जांच की थी। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान सीबीआई ने लगभग 43 विपक्षी नेताओं से पूछताछ की थी। इनमें भाजपा के 12 नेता भी शामिल थे। मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भी उस वक्त सीबीआई जांच के दायरे में आ गए थे। वे उस समय गुजरात सरकार में मंत्री थे। जांच एजेंसी ने उन्हें सोहराबुद्दीन शेख की कथित मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। सीबीआई जांच के दायरे में आए एनडीए के दूसरे बड़े नेताओं में जनार्दन रेड्डी, बीएस येदियुरप्पा और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस भी थे। एमके स्टालिन और मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी सीबीआई जांच हुई थी।

इन दलों के नेता फंसे जांच एजेंसियों के फेर में

मोदी सरकार के दौरान कांग्रेस समेत दूसरे कई विपक्षी दलों के नेता, जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके हैं। इनमें विपक्षी नेताओं की संख्या सर्वाधिक है। गत वर्ष कांग्रेस नेता एवं मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था, केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों की मदद से विपक्ष को एकत्रित नहीं होने दे रही। जैसे ही विपक्षी दल, सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं, उन्हें टारगेट पर ले लिया जाता है। स्वयं खरगे को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। कांग्रेस के बड़े नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल भी ईडी की पेशी भुगत चुके हैं। पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। शिवसेना के संजय राउत ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। टीएमसी सांसद अभिषेक भी ईडी के रडार पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी द्वारा पूछताछ की गई है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन, ईडी मामले में हिरासत में हैं। अब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। वे चार मार्च तक रिमांड पर हैं।

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