
कनाडा में खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का सरगना हरदीप सिंह निज्जर मारा गया है। यह पहला मौका नहीं है कि भारत में वांछित कई आतंकी विदेशी धरती पर गोलियों का निशाना बने हैं। इससे पहले, भारत से भागकर पाकिस्तान, कनाडा और दूसरे देशों में छिपने वाले कई आतंकियों का खात्मा हो चुका है, जो देश के लिए राहत की बात है। इस सूची में ज्यादातर वे आतंकी हैं जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 2020 के तहत व्यक्तिगत आतंकवादी घोषित किया गया था।
निज्जर की हत्या से चार दिन पहले ब्रिटेन के एक अस्पताल में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के आतंकी अवतार खांडा की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई थी। इससे पहले पिछले साल 14 जुलाई को कनाडा में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या हुई थी। लंबे समय से कनाडा में रह रहा मलिक 1985 के एअर इंडिया के विमान में बम धमाके के मामले में वांछित था। कनाडा के कानूनी अड़चनों की वजह से उसे रिहा कर दिया गया था। मलिक लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था। भारत-कनाडा के बीच हुए समझौतों के तहत वहां रहने वाले खालिस्तान समर्थक आतंकियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
आईएसआई की सरपरस्ती भी नहीं बचा पा रही
पाकिस्तान में भी वहां की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई की सरपरस्ती में भारत में वांछित कई आतंकी रह रहे हैं। इनमें से भी कई आतंकियों का सफाया हो चुका है। बीती 6 मई को ही खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के वांछित आतंकी परमजीत सिंह पंजवार लाहौर में अज्ञात लोगों की गोलियों का शिकार बना था। दो साल पहले ही भारत ने पंजवार को यूएपीए के तहत व्यक्तिगत आतंकी घोषित किया था। पाकिस्तान में 1990 से वह मलिक सरदार सिंह के नाम से रह रहा था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, वह खालिस्तान के नाम पर युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग देने में लिप्त था।
पाकिस्तान में ही कुछ महीने पहले हिजबुल कमांडर बशीर अहमद पीर रावलपिंडी और अल बद्र आतंकी सैयद खालिद रजा कराची में अज्ञात लोगों के हाथों मारे गए थे। पाकिस्तान में खुलेआम भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले लश्कर-ए-तौयबा के सरगना हाफिज सईद के लाहौर के जोहार स्थित ठिकाने पर बम से हमला हुआ। लेकिन सईद बच गया था। 2020 में लाहौर में ही खालिस्तान लिबरेशन फोर्स आतंकी हरमीत सिंह मारा गया था। हरमीत डेरा चहल गुरु के एक गुरुद्वारे से संबंधित था और उसी की आड़ में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता था।
पिछले पांच वर्षों में कई आतंकियों को स्वदेश भी लाया गया
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और थाइलैंड जैसे कई देशों में छिपे बैठे कई आतंकियों को स्वदेश भी लाया गया है। कई को इन देशों की सरकारों ने भारत भी भेजा है, जिन्हें हवाईअड्डे पर उतरते ही गिरफ्तार कर लिया गया। यूएई ने 2019 से अबतक 14 आतंकियों को डिपोर्ट किया है। वहीं, सऊदी अरब ने 18 आतंकी वापस भेजे हैं।
पिछले साल 22 नवंबर को थाइलैंड सरकार ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के आतंकी कुलविंदरजीत सिंह को डिपोर्ट किया था। नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) सिंह पर लंबे समय से नजर रख रही थी। एनआईए ने कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों पर हमला और तोड़फोड़ करने वालों की पहचान भी कर रही है। लंदन स्थिति उच्चायोग पर हमला करने वाले कई खालिस्तान समर्थकों की पहचान भी कर ली गई है।
निज्जर ने बब्बर खालसा के लिए भी किया काम
निज्जर ने शुरू में आतंकी समूह बब्बर खालसा के लिए काम किया था। वह 2007 में लुधियाना में शृंगार सिनेमा हाल में बम विस्फोट और 2009 में पटियाला में राष्ट्रीय सिख संगत के प्रमुख रुल्दा सिंह की हत्या समेत इस सदी के पहले दशक में कई आतंकी घटनाओं में शामिल था। 2011 में पाकिस्तान में रहने वाले केटीएफ सरगना जगतार सिंह तारा से उसकी मुलाकात हुई थी और उसके बाद ही वह केटीएफ में शामिल हो गया। बाद में तारा को थाइलैंड से भारत लाया गया था।
तिरंगे का करता था अपमान…भारत के किसी भी राष्ट्रीय महत्व के दिन के अवसर पर निज्जर कनाडा में वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर तिरंगे का अपमान करते नजर आता था। पिछले साल कनाडा के ओंटारियो में खालिस्तान के पक्ष में जनमत संग्रह कराने में भी उसकी बड़ी भूमिका थी।
एनआईए ने पुजारी हत्याकांड में बताया था प्रमुख साजिशकर्ता
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने 2021 में जालंधर के फिल्लौर में एक पुजारी की हत्या के मामले की छानबीन व जांच के दौरान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को मुख्य साजिशकर्ता घोषित किया था और दावा किया था कि आरोपी खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के साथ जुड़े हुए हैं। इसका मकसद पुजारी की हत्या कर पंजाब में आग लगाना था। एनआईए ने तो हरदीप निज्जर पर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी।
निज्जर भारत में ‘सिख्स फॉर जस्टिस” के अलगाववादी और हिंसक एजेंडे को भी बढ़ावा दे रहा था। एनआईए ने 31 जनवरी 2021 को फिल्लौर में हिंदू पुजारी कमलदीप शर्मा की हत्या की साजिश के सिलसिले में जांच 8 अक्तूबर, 2021 को अपने हाथ में ली थी। जांच से पता चला है कि पुजारी की हत्या कर पंजाब में शांति भंग करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के इरादे से पूरी साजिश कनाडा में रहने वाले आरोपी अर्शदीप और निज्जर ने रची थी।
मोगा पुलिस ने पुजारी पर गोली चलाने वाले दोनों आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिनकी पहचान लवप्रीत सिंह उर्फ रवि व राम सिंह उर्फ सोनू के रूप में हुई थी। दोनों के पास से चार पिस्टल और 48 गोलियां मिलीं और जांच के दौरान कड़ी से कड़ी जुड़ी तो पता चला कि दोनों को कनाडा से पैसा भेजा जाता था। कनाडा से हरदीप निज्जर व अर्शदीप सिंह ने पंजाब में अपने स्लीपर गुट के दो शूटरों से 31 जनवरी 2021 को सुबह करीब दस बजे फिल्लौर के भारसिंहपुरा गांव के धार्मिक स्थल पर गोलियां चजाई थीं। हमले में डेरे का संत ज्ञान मुनि और उन्हें बचाने का प्रयास कर रही लड़की सिमरन बुरी तरह से घायल हो गई थी।