राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों हुई भारी बारिश, बाढ़ और बादल फटने से आई प्राकृतिक आपदा को देखते हुए सरकार को अनियोजित भवन निर्माण और अत्यधिक खनन पर रोक लगाने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को लिखे दो पत्रों में राज्यपाल ने आपदा के इन दो बड़े कारणों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई भी मांगी है।
राज्यपाल ने पत्र में लिखा कि हाल ही में राज्य में हुई अतिवृष्टि से जानमाल के भारी नुकसान का एक संभावित कारण पहाड़ों पर और नदियों के किनारे नियम दरकिनार कर भवन निर्माण और अवैध खनन भी हो सकता है। सरकार भवन निर्माण की अनुमति नियमानुसार देती है, लेकिन नियमों के अनुसार लोग भवन निर्माण नहीं करते हैं।
अनियोजित तरीके से भवन निर्माण न हो और भविष्य में नियमों के अनुसार भवन निर्माण हो, इसके लिए सरकार को सख्ती से नियमों का पालन करना व करवाना सुनिश्चित करना होगा। राज्यपाल ने कहा कि कई भवन 70 से 80 डिग्री ढलानों पर भी बनाए गए हैं, जो अपने आप में खतरनाक हैं। भवन निर्माण से पूर्व संबंधित स्थल का भूमि परीक्षण भी नहीं करवाया जाता।
इससे भूमि के खिसकने व धंसने से भवनों के ढहने का खतरा रहता है। राज्यपाल ने लिखा कि सरकार मामले में संबंधित विभागों को उचित दिशा-निर्देश जारी करे। राज्यपाल ने कहा कि पहाड़ों और नदियों के किनारे खनन के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं, जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है।
कुछ एक सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और ऊना में पाया गया है कि अत्याधिक खनन से इन क्षेत्रों में भू-क्षरण व भूस्खलन अधिक बढ़ गया है। गौर हो कि बीते दिन राज्यपाल चक्कीमोड़ पर बंद कालका-िशमला एनएच का निरीक्षण करने भी पहुंचे थे।
छोटा लाभ पाने के लिए दूरगामी दुष्परिणाम नकार देते हैं लालची लोग
यह दर्शाता है कि तुरंत छोटे से लाभ को पाने के लिए दूरगामी दुष्परिणामों को कुछ लालची लोग नकार देते हैं। इससे सामान्य जनता और सरकार दोनों को ही अत्यधिक दूरगामी कीमत चुकानी पड़ती है। अवैज्ञानिक तरीके से किए गए खनन से सरकार को तो राजस्व घाटा होता ही है, साथ ही पर्यावरण का भी नुकसान होता है।
कहा- कई जगह 70 से 80 डिग्री ढलानों पर बनाए भवन
राज्यपाल ने लिखा कि भविष्य में ऐसी गतिविधियां रोकने के लिए सरकार योजनाएं बताए। यह भी बताए कि खनन के लिए कितने लाइसेंसधारी हैं और अवैध खनन में नियमानुसार क्या कार्रवाई हुई।