
राज्यसभा चुनाव के दौरान उठे सियासी घमासान के बाद कांग्रेस के दो विधायकों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 171ए, 171सी,120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया
पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करवाने के लिए सोमवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया है, जो गलत है। उन्होंने दलील दी कि निर्दलीय विधायक किसी भी दल के नहीं होते, उन्हें चुनाव में वोट देने की स्वतंत्रता होती है। सरकार ने राजनीतिक कारणों की वजह से इन पर एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने अदालत से एफआईआर रद्द करने की मांग की है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त की साजिश रचने के आरोप में निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और कांग्रेस के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। दोनों पर राज्यसभा चुनाव में षड्यंत्र रचने और बड़ी मात्रा में पैसों की लेन-देन के आरोप हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि राजनीतिक दबाव के चलते इन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है। सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत को बताया कि एसआईटी आरोपियों से पूछताछ कर रही है। आरोपियों को ऐसी सूरत में जमानत न दी जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोनों की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। अदालत ने दोनों को निर्देश दिए है कि वह जांच एजेंसी को पूछताछ में सहयोग करें। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश रंजन शर्मा ने की। अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।
यह है मामला
पुलिस ने बालूगंज थाना में कांग्रेस के दो विधायकों की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर यह मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इन दोनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 171ए, 171सी,120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं।