यूरिया खाद का संकट, हिमफेड ने कंपनियों को 9922 मीट्रिक टन की भेजी मांग

यूरिया खाद का संकट, हिमफेड ने कंपनियों को 9922 मीट्रिक टन की भेजी मांग

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बीच किसानों-बागवानों के लिए एक और संकट खड़ा हो गया है। फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाली यूरिया खाद प्रदेशभर में किल्लत चल रही है। खाद के लिए किसान-बागवानों डिपुओं में संपर्क कर रहे हैं, मगर उन्हें खाद नहीं मिल रही। यदि जल्द खाद मुहैया नहीं हो पाई तो किसानों को नुकसान होगा, साथ ही बागवानी पर भी असर पड़ेगा। हिमफेड ने संबंधित कंपनियों को इस बार 9922 मिट्रिक टन खाद की डिमांड भेज दी है।

अब यह सप्लाई कब तक आएगी, इसका कुछ पता नहीं है। वहीं अगर फसलों को यूरिया खाद की जरूरत है। बीते दिनों जिला सोलन के लिए 500 मीट्रिक टन की मांग भेजी थी, मगर 200 मीट्रिक टन खाद की सप्लाई ही मिल पाई। वह भी एक सप्ताह में ही खत्म हो गई। मानसून की बारिश के बीच टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी समेत फलों और मक्की के लिए यूरिया खाद अति आवश्यक होती है।

उधर, हिमफेड के सहायक विपणन अधिकारी विकास ने बताया कि प्रदेशभर में यूरिया खाद की कमी चल रही है। मांग कंपनियों को भेजी गई है। वहीं इस बार खाद की मांग भी अधिक है। मांग के अनुसार यह सप्लाई कम पड़ रही है। कृषि निदेशक के माध्यम से डिमांड बढ़ाने के लिए पत्र भेजने की भी मांग की गई है।

सिरमौर से 10,000 बैग की मांग
जिला सिरमौर में यूरिया का संकट खड़ा हो गया है। पिछले कई दिन से जिले में हिमफेड के नौ डिपो में यूरिया की आपूर्ति नहीं हो पाई है। पिछले दिनों हिमफेड की ओर से 10,000 बैग की मांग भेजी गई थी। बताया जा रहा है कि पंजाब के नंगल स्थित एनएफएल प्लांट में दिक्कत आने से यूरिया का संकट खड़ा हो रहा है। किसान रोजाना हिमफेड के गोदामों के चक्कर काट रहे हैं। मक्की की फसल के लिए यूरिया की जरूरत है, लेकिन आपूर्ति न हो पाने से किसान परेशान हैं।

यूरिया की किल्लत से धान और मक्की की बिजाई प्रभावित
प्रदेश के कुछ जिलों में यूरिया की किल्लत से धान और मक्की की बिजाई का काम प्रभावित हो रहा है। कांगड़ा और मंडी सहित कुछ अन्य जिलों में किसानों को यूरिया की सप्लाई नहीं मिल पा रही। हालांकि शिमला जिले में हिमफेड और इफको के पास यूरिया का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। जिला कांगड़ा के कुछ क्षेत्रों में यूरिया खाद का संकट गहरा गया है। मौजूदा समय में किसानों को धान और मक्की की फसल में डालने के लिए यूरिया खाद नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि नैनो यूरिया को प्रमोट करने के लिए यूरिया खाद की सप्लाई को 20 फीसदी तक कम कर दिया गया है। मंडी जिले में भी यूरिया खाद का संकट चल रहा है।

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