हिमाचल प्रदेश में जनजातीय, दुर्गम और कठिन क्षेत्रों के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया गया है। जनजातीय, दुर्गम और कठिन क्षेत्रों में रिक्तियों को भरने के लिए यह प्रतिबंध हटाया गया है। सेवानिवृत्ति, पदोन्नति और नए पदों के सृजन के मामलों में भी यह बैन नहीं होगा। अनुशासनात्मक, विजिलेंस मामलों, आपराधिक कार्रवाई के बाद भी तबादले किए जा सकेंगे। प्रशासनिक आधार और आवश्यक मामलों में भी तबादले होंगे।
मगर इन सभी मामलों के लिए मुख्यमंत्री की पूर्व मंजरी अनिवार्य होगी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों और उपायुक्तों को इस संबंध में दिशा-निर्देश भेजे हैं। इस पत्र में कहा गया है कि नौ मई 2022 और 15 जुलाई 2022 के विभागीय पत्र के अनुसार प्रदेश में कर्मचारियों के सामान्य तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध पहले से ही लगा हुआ है।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विभाग, बोर्ड, निगम और विश्वद्यालय में किसी भी तरह का तबादला या एडजस्टमेंट मंजूर नहीं की जाएगी। इस प्रतिबंधित समय में मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी होगी। यह संबंधित विभाग के मंत्री के माध्यम से ली जाएगी। चूंकि सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध जारी रहेगा। इसलिए मुख्यमंत्री की प्रारंभिक मंजूरी के बगैर कोई तबादला आदेश जारी नहीं होगा।
सीमाई और अन्य क्षेत्रों में तीन साल से डटे अधिकारियों के तबादले होंगे
हिमाचल प्रदेश में सीमाई और अन्य क्षेत्रों में तीन साल से अधिक अवधि से डटे अधिकारियों के भी तबादले होंगे। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों, निगमों-बोर्डों के प्रबंध निदेशकों समेत तमाम अधिकारियों को इस संबंध में चिट्ठी भेजी गई है। इसमें चिंता जताई गई है कि सरकार के आदेशों की ठीक से अनुपालना नहीं हो रही है।
विभिन्न क्षेत्रों में अधिकारी लंबे समय से एक ही क्षेत्र में डटे हैं, जबकि नियम तीन साल बाद तबादला करने का है। विशेषकर सीमाई क्षेत्रों में ऐसे कई अधिकारी डटे हैं। ऐसे तबादले मुख्यमंत्री या मंत्री की प्रारंभिक मंजूरी के बाद होंगे। तबादला आदेश जारी करते हुए इसमें यह देखना होगा कि संबंधित क्षेत्रों में कामकाज भी प्रभावित न हो।