राज्य बिजली बोर्ड की ओर से ठेकेदारों को पांच की जगह 18 प्रतिशत की दर से वस्तु एवं सेवाकर का भुगतान करने का मामला महालेखा परीक्षक ने उठाया है। बुधवार को विधानसभा सदन में रखी गई कैग रिपोर्ट में बिजली बोर्ड की सौर संयंत्र स्थापित करने की योजना पर सवाल उठाए गए हैं। उच्च दरों पर कार्य अनुबंध करने और ठेकेदार को अनुचित लाभ देने की गड़बड़ियां भी रिपोर्ट में दर्शाई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिजली बोर्ड ने सौर संयंत्रों से संबंधित ठेकों में 21.03 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया।
5.14 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए
हिम ऊर्जा की दरों पर सौर संयंत्रों का कार्य अलग-अलग से नहीं देने के कारण 5.14 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गए। बोर्ड ने एक से 500 किलोवॉट तक के विद्युत उत्पादन की क्षमता की नेट मीटरिंग के साथ सौर संयंत्रों की स्थापना की कुल 12 परियोजनाओं में से नौ में एक ही रेट रखा जबकि तीन के रेट अलग-अलग दिए। अन्य मामले में कुल्लू सर्किल के तहत प्रणाली सुदृढ़ीकरण के मामले में तय सीमा के भीतर काम पूरा नहीं करने के बावजूद ठेकेदार से वसूली नहीं की गई। ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया।
कैग ने आर्थिक प्रबंधन के लिए की यह सिफारिशें
शिमला। हिमाचल सरकार अपने राजस्व में वृद्धि के लिए प्रयास करे। वह बेहतर संसाधन जुटाने के लिए लंबित कर दावों का समयबद्ध निपटान करे। राजस्व बकाया की वसूली करे। सरकार प्रतिबद्ध व्यय को कम करने के तरीके खोजे, जिससे विकास व्यय के लिए अधिक निधियों उपलब्ध कराई जा सके।
ऋणों की वसूली करने में सरकार कमजोर रही
सरकार उधार लेने की उच्च लागत को देखते हुए लाभ अर्जित करने के लिए राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निवेश की गई पूंजी पर उचित प्रतिफल सुनिश्चित करने के मार्ग खोजे। विभिन्न क्षेत्रों को अग्रिम रूप से दिए गए ऋणों की वसूली करने में सरकार कमजोर रही है, इसलिए राज्य सरकार ऋण व अग्रिमों को अनुदान के रूप में मानें और सेवाओं में उनकी सही स्थिति दर्शाने के लिए उन्हें राजस्व व्यय के रूप में बुक करे। सरकार आगामी लागत वृद्धि से बचने के लिए अपूर्ण परियोजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करना सुनिश्चित करे।