कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक ने वित्तीय घाटे के चलते 224 अधिवक्ताओं की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। यह जानकारी केसीसी बैंक के नवनियुक्ति चेयरमैन कुलदीप सिंह पठानिया ने दी है। शुक्रवार को हमीरपुर मे विशेष बातचीत में पठानिया ने कहा कि इन अधिवक्ताओं की सेवाओं पर बैंक प्रबंधन काफी मोटी रकम खर्च कर चुका है। लेकिन, इसके बदले में संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आए। बीते दिन आयोजित बीओजी की बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि कुछेक अधिवक्ताओं ने ही सही काम किया, जबकि शेष की प्रोग्रेस सही नहीं पाई गई। करोड़ों रुपये का ऋण डिफाल्टरों के पास पड़ा हुआ है।
इससे बैंक का एनपीए बढ़ रहा था। जिसके चलते यह यह निर्णय लिया गया है। पठानिया ने कहा कि गलत तरीके से करोड़ों रुपये के ऋण आवंटन के मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं। जिस-जिस ब्रांच से ऋण आवंटित हुआ है, वहां के प्रबंधकों के खिलाफ जांच के बाद सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कई जगह तो ऐसे मामले सामने आए हैं कि जमीन का पर्चा मलकीयत भूमि का लगाया गया है और भवन का निर्माण सरकारी भूमि पर किया गया है। इससे संबंधित संपत्ति को जब्त करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। अब जो भी बैंक प्रबंधक ऋण आवंटित करेगा, ऋण की रिकवरी की जिम्मेवारी भी उसकी होगी। इसके अलावा पूर्व में बैंक प्रबंधन ने जितनी भी ऑडिट एजेंसियां अटैच की थीं, उनके कार्यों की समीक्षा भी की जाएगी।