खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर (एम्स) को शुरू हुए गुरुवार को एक साल पूरा होने जा रहा है। इस एक साल में एम्स ने कई सेवाएं ऐेसे लोगों को दीं जिनके लिए उन्हें बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता था। इस संस्थान को सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाएं बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य अपनी सभी शाखाओं में स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में शिक्षण के नए और बेहतर पैटर्न विकसित करने का है, ताकि देश में सभी मेडिकल कॉलेजों और अन्य संबद्ध संस्थानों में चिकित्सा शिक्षा के उच्च मानक को प्रदर्शित किया जा सके।
एम्स बिलासपुर में रोगी देखभाल सेवाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। स्पेशियलिटी और सुपर स्पेशियलिटी विभागों ने एक साल में लगभग 1.85 लाख परामर्श, 17 हजार रोगियों को आईपीडी और 11 हजार रोगियों को आपातकालीन सेवाएं दी हैं। विभागों ने लगभग 1300 बड़ी सर्जरी, 600 छोटी सर्जरी और 2500 डे केयर सेवाएं दीं हैं। अस्पताल में अच्छी तरह से सुसज्जित निदान और प्रयोगशाला सुविधा है। 6.27 लाख से अधिक परीक्षण किए गए हैं। लगभग 45 हजार रोगियों को अत्याधुनिक उपकरणों यानी एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, कलर डॉपलर, एक्स-रे के माध्यम से रेडियोलॉजिकल सेवाओं का लाभ मिला है।
एम्स में टीबी के लिए सीबी नेट सुविधा शुरू की गई है। रोगी आहार सेवाएं, सीएसएसडी, हिम केयर और आयुष्मान भारत के तहत सुविधाएं, टेलीमेडिसिन सेवाएं दी जा रही हैं। उद्घाटन के समय बिस्तरों की संख्या 150 बिस्तरों से बढ़कर आईसीयू बेड सहित 445 तक पहुंच गई है। एम्स बिलासपुर के संकाय को कई अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 17 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त अनुदान दिया गया है। 70 फीसदी अनुसंधान परियोजनाओं को अतिरिक्त रूप से वित्त पोषित किया गया है।
ये नई सेवाएं शुरू
लेबर रूम की सुविधा, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, टीकाकरण क्लिनिक, वृद्धजनों के लिए क्लिनिक, एनसीडी क्लीनिक, रक्त भंडारण सुविधा और आभा पंजीकरण काउंटर नई सुविधाओं में शामिल हैं। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए बहुविशेषता स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। एम्स बिलासपुर नियमित रूप से स्वास्थ्य कर्मियों के लिए विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रम और शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन करता है। शैक्षणिक मोर्चे पर भी एम्स तेजी से बढ़ रहा है।
2022 में एमबीबीएस सीटों की संख्या 50 से बढ़कर 100 हो गई थी। 100 एमबीबीएस छात्रों का चौथा बैच सितंबर 2023 में एम्स में शामिल हुआ। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (एमडी/एमएस) इस वर्ष 10 विभागों में शुरू किए गए हैं। इसमें कुल 17 स्नातकोत्तर एम्स बिलासपुर में शामिल हुए हैं। भविष्य में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम 10 विभागों से बढ़कर 19 विभागों में शुरू हो जाएगी। नर्सिंग और पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज भी 40 बीएससी नर्सिंग, 20 बीएससी पैरामेडिकल साइंसेज मेडिकल की प्रवेश क्षमता के साथ शुरू हो गए हैं।
स्वास्थ्य सेवा वितरण बढ़ाने के लिए पंजाब और हरियाणा में सस्ती, विश्वसनीय तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए रोगी सुविधा केंद्र, मल्टीलेवल कार पार्किंग, लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक और मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम की स्थापना, बाल चिकित्सा आईसीयू मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) जैसे सुपर स्पेशियलिटी विभागों की स्थापना से सेवाओं का विस्तार होगा।
ये परियोजनाएं पाइपलाइन में
500 बिस्तरों वाला रात्रि आश्रय, कैंसर और सूजन संबंधी विकारों वाले रोगियों के लिए पैट-सीटी, अंग और मज्जा प्रत्यारोपण,कार्बन तटस्थ स्थिति प्राप्त करने के लिए सौर पार्क।
एम्स फैकल्टी में 53 फीसदी से ज्यादा पद खाली
एम्स अभी 53 प्रतिशत से अधिक रिक्तियां हैं। एम्स टीचिंग और नॉन टीचिंग के 183 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 86 पद भरे हैं जबकि 97 पद अभी भी खाली हैं। सीनियर रेजिडेंट्स के 40 स्वीकृत पद हैं लेकिन केवल 10 भरे हैं और 30 रिक्त हैं। जूनियर रेजिडेंट्स में भी 40 स्वीकृत पदों में से केवल 15 भरे हुए हैं और 25 खाली हैं।
21 ओपीडी और 3 आईपीडी कर रही काम
एम्स बिलासपुर में अभी तक 21 ओपीडी चल रही हैं। एम्स में न्यूरोलॉजी, जनरल सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलॉजी, सीटीवीएस (हृदय बाईपास सर्जरी), मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर संबंधी बीमारी) रेडिएशन ऑन्कोलॉजी (कैंसर थेरेपी) ओबीएस एंड गायनी, डर्मेटोलॉजी (त्वचा विशेषज्ञ), शिशु रोग विशेषज्ञ, नियोनेटोलॉजी (नवजात बच्चों की ओपीडी), नेफ्रोलॉजी (गुर्दे/ किडनी संबंधित), सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर विज्ञान शल्य चिकित्सा), एंडोक्रिनोलॉजी (हार्मोन उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों संबंधी), मनोचिकित्सक, हड्डी रोग विशेषज्ञ, जनरल मेडिसिन, ईएनटी, नेत्र विभाग की ओपीडी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिल रही हैं। सामान्य रोग, स्त्री रोग और हड्डी रोग की आईपीडी चल रही है।