हिमाचल में बारिश-बर्फबारी न होने से सूखे की स्थिति के चलते बागवान अपने बगीचों में सेब के नए पौधे नहीं लगा पा रहे। इस साल उद्यान विभाग ने बागवानों को पांच लाख पौधे उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक महज 30 फीसदी ही पौधे बिक पाए हैं। मौसम का रुख देखते हुए बागवान उद्यान विभाग से पौधे नहीं खरीद रहे हैं। अगर सूखे की स्थिति लंबे समय तक चलती है और पौधे नहीं बिकते तो उद्यान विभाग को करोड़ों के नुकसान का अंदेशा है। सरकार की ओर से विदेशों से सेब के पौधे आयात न करने के फैसले के बाद उद्यान विभाग ने अपनी 35 नर्सरियों में सेब की उन्नत किस्मों के 10 लाख पौधे तैयार किए थे।
इनमें से अच्छी गुणवत्ता के तीन लाख ग्राफ्टेड और दो लाख क्लोनल रूट स्टॉक पौधे बागवानों को बेचने थे। 20 दिसंबर से ब्लॉक स्तर पर उद्यान प्रसार केंद्रों पर पौधे उपलब्ध करवा दिए गए थे और 2 जनवरी से पौधों की बिक्री शुरू कर दी गई। सेब के अतिरिक्त नाशपाती, आड़ू, नेक्टराइन, प्लम, चेरी, खुमानी, बादाम, अखरोट, हेजलनट, अनार, कीवी, पीकनट, अंजीर, अंगूर के पौधे भी उपलब्ध करवाए गए। सेब के पौधों की खरीद सबसे कम हुई है हालांकि अन्य पौधे 50 फीसदी तक बिक गए हैं। निजी नर्सरी संचालकों को भी मौसम की मार के कारण नुकसान हुआ है। कई संचालकों ने लीज पर जमीन लेकर नर्सरी तैयार की थी, लेकिन पौधे न बिकने से घाटा हुआ।
सूखे के कारण बागवान पौधे नहीं खरीद रहे हैं। अब तक करीब 30 फीसदी ही पौधे बिक पाए हैं। अगर बारिश बर्फबारी होती है तो उम्मीद है कि पौधों की बिक्री में तेजी आएगी। – संदीप कदम, निदेशक, उद्यान विभाग