केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली स्थित एनजीओ ‘सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज’ के एफसीआरए पंजीकरण को कानून के विभिन्न प्रावधानों के कथित उल्लंघन करने पर छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) संस्थाओं को विदेशी योगदान प्राप्त करने की अनुमति देता है।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 2010, किसी पंजीकृत समाचारपत्र के संवाददाताओं, स्तंभकारों, कार्टूनिस्ट, संपादकों, मालिकों, मुद्रकों और प्रकाशकों के विदेशी अंशदान स्वीकार करने पर रोक लगाता है। आदेश में कहा गया है, हालांकि, यह पाया गया है कि गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के ट्रस्टी हर्ष मंदेर (Harsh Mander) नियमित रूप से समाचार पत्रों के लिए कॉलम लिखते रहे हैं और 2011-12 से 2017-18 के दौरान एफसीआरए खाते से पेशेवर प्राप्तियों या भुगतान के रूप में 12,64,671 रुपये की राशि का विदेशी अंशदान स्वीकार किया है।
संपर्क करने पर, मंदेर ने पुष्टि की कि उन्हें ‘सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज’ के निलंबन का आदेश मिला है। उन्होंने इसे ‘असाधारण’ बताया। उन्होंने बताया कि यह उन सवालों को उठाता है जो सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज की बारीकियों से परे हैं। क्योंकि एक ओर नोटिस जो सुझाव देता है वह यह है कि अल्पसंख्यक के अधिकारों की रक्षा और धार्मिक समुदायों आदि के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए मैं जिस तरह का काम करता हूं- इन मुद्दों पर बोलना-लिखना देश की संप्रभुता के खिलाफ गतिविधि बताया जा रहा है।
दावा किया गया है कि एनजीओ द्वारा प्राप्त विदेशी योगदान कथित तौर पर गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों बिराज पटनायक (35.69 लाख रुपये), मो. अनवर यूआई हक (3.65 लाख रुपये), सज्जाद हसन (34.08 लाख रुपये) आदि द्वारा उपयोग किया गया