एसजेवीएनएल करेगा जोगिंद्रनगर की सौ मेगावाट विद्युत परियोजना का निर्माण

एसजेवीएनएल करेगा जोगिंद्रनगर की सौ मेगावाट  विद्युत परियोजना का निर्माण
जोगिंद्रनगर (मंडी)।

 मंडी जिले के जोगिंद्रनगर की सौ मेगावाट ऊहल तृतीय पन विद्युत परियोजना का निर्माण सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) को सौंपने की कवायद प्रदेश विद्युत बोर्ड और सरकार ने शुरू कर दी है।

सतलुज जल विद्युत निगम
सतलुज जल विद्युत निगम

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंद्रनगर की सौ मेगावाट ऊहल तृतीय पन विद्युत परियोजना का निर्माण सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) को सौंपने की कवायद प्रदेश विद्युत बोर्ड और सरकार ने शुरू कर दी है। ऐसे में ऊहल परियोजना का निर्माण अब व्यास वैली कॉरपोरेशन के अधीन नहीं रहेगा। इसका कारण यह है कि व्यास वैली कॉरपोरेशन 20 साल बाद भी यह कार्य पूरा नहीं कर पाई है। ऊहल तृतीय चरण पन विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य 2003 में व्यास वैली कॉरपोरेशन की देखरेख में शुरू हुआ। 431 करोड़ की अनुमानित इस परियोजना की 20 साल में कॉस्ट करीब 2,500 करोड़ पहुंच चुकी है। 17 मई साल 2020 आधी रात को परियोजना में विद्युत उत्पादन के समय अचानक हुए ब्लास्ट से पैन स्टॉक के हिस्से को नुकसान पहुंचा था।

विद्युत बोर्ड के प्रबंध निदेशक पंकज डडवाल ने हाल ही में परियोजना के निर्माण कार्य में हुए विलंब और पेन स्टॉक के नए सिरे से निर्माण का निरीक्षण कर जो रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी है, उसमें परियोजना में विद्युत उत्पादन का निर्माण कार्य सतलुज जल विद्युत निगम से करवाने पर हामी भरी है। इसी माह की 27 और 28 जनवरी को एसजेवीएनएल की टीम परियोजना के निरीक्षण के लिए आ रही है। ऐसे में अब परियोजना की पेन स्टॉक और अन्य निर्माण कार्य प्रदेश और केंद्र सरकार की संयुक्त सरकारी एजेंसी के अधीन आने की संभावनाएं प्रबल हो चुकी है। विद्युत बोर्ड के प्रबंध निदेशक ने बताया कि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड की टीम निरीक्षण कर जो रिपोर्ट सौंपेगी, उसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।
2024 में फिर  शुरू होगा विद्युत उत्पादन 
सौ मेगावाट की ऊहल परियोजना में 2010 में करीब 82 करोड़ रुपये खर्च कर दो किलोमीटर पैन स्टॉक का निर्माण किया गया था। परियोजना के प्रबंध निदेशक देवेंद्र चौधरी ने बताया कि साल 2024 में फिर विद्युत उत्पादन शुरू होते ही प्रदेश सरकार को सालाना 120 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। परियोजना में तीन टरबाइन विद्युत उत्पादन के लिए मौजूद हैं। 9.35 किलोमीटर पैन स्टॉक के निर्माण कार्य पर अनुमानित 65 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 14 महीने में निर्माण कार्य पूरा कर फिर से विद्युत उत्पादन शुरू किया जाएगा।

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