आयोग ने की कार्रवाई दो निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति अयोग्य करार

आयोग ने की कार्रवाई दो निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति अयोग्य करार

हिमाचल प्रदेश में यूजीसी नियमों के खिलाफ नियुक्त दो निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति अयोग्य करार किए गए हैं। राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद शनिवार को यह कार्रवाई की। संबंधित विश्वविद्यालयों के चांसलरों को पत्र जारी कर अयोग्य कुलपतियों को हटाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। बिना पीएचडी किए और दस वर्ष तक प्रोफेसर के पद पर सेवाएं नहीं देने पर यह कार्रवाई हुई है। आयोग की जांच कमेटी ने प्रदेश के तीन निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दस्तावेज जांचे हैं। एक विश्वविद्यालय के कुलपति सभी मानकों पर खरे उतरे हैं। उन्हें योग्य करार दिया है। दो निजी विश्वविद्यालयों की ओर से आयोग को अभी तक रिपोर्ट नहीं दी गई है। आयोग की जांच टीम ने पांच निजी विश्वविद्यालयों से कुलपतियों से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया था।

प्रदेश के पांच निजी विश्वविद्यालयों शूलिनी, अरनी, एपीजी शिमला, आईईसी और बाहरा विश्वविद्यालय के कुलपतियों की शैक्षणिक योग्यता को जांचने के लिए कमेटी का गठन किया था। शनिवार को कमेटी ने आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि दो विश्वविद्यालयों की ओर से अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। तीन विश्वविद्यालयों से प्राप्त रिकॉर्ड को जांचने के बाद कमेटी ने पाया कि दो कुलपतियों को यूजीसी के नियमों के खिलाफ जाकर नियुक्तियां दी गईं। आयोग ने सख्त कार्रवाई करते हुए इन दोनों कुलपतियों को अयोग्य करार दे दिया है। विगत फरवरी 2023 में भी एक विश्वविद्यालय के कुलपति को अयोग्य करार दिया गया था।

11 कुलपतियों ने छोड़ दिए थे पद
दो वर्ष पूर्व आयोग की जांच के बाद 16 में से 11 कुलपतियों ने पद छोड़ दिए थे। दो वर्ष पूर्व हटाए गए कुलपतियों की जगह निजी विश्वविद्यालयों में नई नियुक्तियां हुई हैं। ऐसे में आयोग ने इन कुलपतियों की भी शैक्षणिक योग्यता और पात्रता जांचने का फैसला लिया। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि नियमों के तहत कुलपति की नियुक्ति के लिए पीएचडी, 10 साल तक पढ़ाने का अनुभव, रिसर्च पेपर प्रकाशित होने चाहिए। दो कुलपति इन नियमों पर खरे नहीं उतरे। इन विश्वविद्यालयों के चांसलरों को पत्र जारी कर अयोग्य कुलपतियों को पद से हटाने के निर्देश दिए हैं।

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