आईजीएमसी में मरीज परेशान, हीमोफीलिया के इंजेक्शन का स्टॉक खत्म

आईजीएमसी में मरीज परेशान, हीमोफीलिया के इंजेक्शन का स्टॉक खत्म

शिमला
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में हीमोफीलिया इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो गया है। वहीं बिलों का भुगतान न होने से कंपनी ने इंजेक्शनों की आपूर्ति भी रोक दी है। ऐसे में दुर्घटना और चोट लगने पर खून को रोकने के लिए लगाया जाने वाला यह इंजेक्शन न मिलने से मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अस्पताल प्रबंधन की ढील के कारण इंजेक्शन की खरीद की प्रक्रिया रुकी हुई है। हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित मरीज को अगर चोट लग जाती है तो उसका खून बहना शुरू हो जाता है। यह खून जमता नहीं है। ऐसे में हीमोफिलिया इंजेक्शन के माध्यम से क्लॉटिंग फैक्टर-8 और 9 दिया जाता है। यह इंजेक्शन खून को बहने से रोकता है।

अस्पतालों में यह इंजेक्शन मरीजों को मुफ्त में लगते हैं। बाजारों में इसकी कीमत पांच हजार रुपये प्रति इंजेक्शन है। चोट लगने पर हीमोफीलिया के मरीजों को कई बार यह इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाले मरीजों के लिए यह इंजेक्शन खरीदना मुश्किल होता है। सूत्रों का कहना है कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में आला अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी थी। कंपनी भुगतान न होने से इसकी सप्लाई नहीं भेज रही। अब दिसंबर शुरू होने के बाद अगर कोई मरीज आता है तो उसे परेशानी झेलने को मजबूर होना पड़ सकता है।

हीमोफीलिया इंजेक्शन खत्म होने का मामला ध्यान में है। हालांकि सप्लाई आर्डर भेजा गया है। जिससे कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी पेश न आए।
-डॉ. प्रवीण भाटिया, डिप्टी एमएस, आईजीएमसी

करोड़ों रुपये का रुका है भुगतान
आईजीएमसी में करोड़ों रुपये का भुगतान रुका हुआ है। इस कारण रुटीन की खरीददारी भी बंद पड़ी है। अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी है लेकिन कुछ नहीं कर रहा। एमएस का पदभार आईजीएमसी प्राचार्य के पास है लेकिन वह एक सप्ताह की छुट्टी पर हैं। इस कारण वित्तीय संबंधी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

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