
बद्दी (सोलन)। उपायुक्त मीरा मोहंती ने प्रवासी मजदूरों की झुग्गियों को बसाने वाले भू-मालिकों को कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने तीन माह का समय देते हुए टीसीपी नियम के तहत प्रवासी कामगारों को झुग्गी के स्थान कम लागत पर शौचालय रहित भवन उपलब्ध करवाने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि तीन माह के बाद पूरे बीबीएन का निरीक्षण होगा। नियमों को ताक पर रखकर बनी झुग्गियों को हटा दिया जाएगा।
उपायुक्त बीबीएनडीए की ओर से आयोजित कम लागत में आवासीय सुविधा पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इस मौके पर उन्होंने 40 हजार में बनने वाले शौचालय रहित भवन का माडल भी रखा। उन्होंने कहा कि जब किसी नई योजना को लागू किया जाता है तो उसके विरोध तो होता है। वर्तमान में कुछ लोगों ने अपनी जमीन पर झुग्गियां दे रखी हैं। एक-एक झुग्गी में बीस-बीस लोग रह रहे हैं। यह सभी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। जिससे बीबीएन का पानी भी दूषित हो रहा है। इस मौके पर बीबीएनडीए की अतिरिक्त सीईओ राजेश्वर गोयल, एसडीएम यूनस, वाईएस गुलेरिया, केआर चंदेल, एनपी कौशिक, राजीव कांसल, पार्षद संजीव कुमार, गणेशी लाल, नालागढ़ की नप अध्यक्ष अलका वर्मा, बंत सिंह, संजीव कुमार, मास्टर इंद्रजीत, पंचायत प्रधान रामरतन, लक्ष्मण दास, माधो राम मेहता, इंटक के बीबीएन के अध्यक्ष चौधरी गुरमैल सिंह, बीबीएनडीए के एसओ राकेश कुमार सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
बैंक से मिलेगा लोन
एवरेस्ट कंपनी के प्रतिनिधि पंकज गांधी और विजय सिंह ने उपस्थित लोगों को बताया कंपनी ने एक मकान का माडल तैयार किया है जिसमें पर चालीस हजार रुपये खर्चा आता है। एचडीएफसी बैंक के प्रतिनिधि ने लोगों को कम दरों पर ऋण उपलब्ध कराने की योजनाएं बताईं।
लोगों से मांगा सहयोग
नप अध्यक्ष चौधरी मदन लाल ने भी लोगों से प्रशासन का सहयोग करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बीबीएन को साफ व सुधरा बनाना उनके हित के लिए है। बीडीसी उपाध्यक्ष बलविंद्र ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में प्रशासन को झुग्गी उठाने की जरूरत पड़ रही है। अगर इसे पहले ही उठा लिया जाता तो आज यह समस्या नहीं आती। सरकारी जमीन पर झुग्गियां बनी देख कर निजी लोगों ने अपनी जमीन पर झुग्गियां बनाने की मंजूरी दी।
टीसीपी के नियमों में मांगी छूट
पूर्व विधायक चौधरी लज्जा राम ने कहा कि कम जमीन वालों को टीसीपी के नियमों में छूट होनी चाहिए। टीसीपी के नियमों सरलीकरण न होने से अधिकांश उद्यमी पंचकूला और चंडीगढ़ में पलायन कर गए हैं।