स्वाइन फ्लू की जकड़ में अब गांव

शिमला। स्वाइन फ्लू की जकड़ में अब ग्रामीण हलकों में रहने वाले लोग आ रहे हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में अर्की, कोटखाई, रामपुर और पच्छाद जैसे इलाकों से मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज की पहले डाक्टर ट्रेवल हिस्ट्री देखते थे कि कहीं मरीज किसी दूसरे राज्य में जाकर इस बीमारी का शिकार तो नहीं हो गया। लेकिन, स्वाइन फ्लू का वायरस अब सब जगह फैल चुका है। जिस व्यक्ति का इंम्यून सिस्टम कमजोर होगा, वह इसकी जद में जल्दी आ सकता है। आईजीएमसी में दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो 18 में से एक मामला केवल शहर से आया है। बाकी सब ग्रामीण हलकों से आए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य महकमे का मानना है कि अब हर साल स्वाइन फ्लू का प्रकोप कम होता रहेगा। हर साल यह नए रूप में आता है।
विशेषज्ञ चिकित्सक डा. डीआर शर्मा बताते हैं स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है। यह ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है। मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू आया था। उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है। हालांकि, उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है। यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है।

नाक या मुंह के जरिये प्रवेश करता है वायरस
खांसते-छींकते समय हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिये भी यह वायरस फैल सकते हैं अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।

शुरुआती लक्षण
– नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
– मांसपेशियाें में दर्द या अकड़न महसूस करना।
– सिर में भयानक दर्द।
– बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
– गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।

कब तक रहता है वायरस
एच1एन1 वायरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इंफेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में सक्रिय हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।

दिमाग से डर निकल दीजिए
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में तैनात विशेषज्ञ डा. डीआर शर्मा बताते हैं इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं। जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वह दवा से सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो अस्पताल में दाखिल भी नहीं होना पड़ता है। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था।

फ्लू होने पर बच्चों को न भेजें स्कूल
वयस्कों को स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर 5 दिनों तक निगरानी में रखते हैं। बच्चों के मामले में 7 से 10 दिनों इलाज चलता है। जब तक फ्लू के सारे लक्षण खत्म न हो जाएं, बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए। कार्यालय से छुट्टी ले लेनी चाहिए।

स्वाइन फ्लू से बचाव और उपचार

– जब भी खांसी या छींक आए रुमाल या टीश्यू पेपर का इस्तेमाल करें।
– इस्तेमाल किए मास्क या टीश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में ही फेंकें।
– थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें।
– लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने से बचें।
– फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अस्पताल में डाक्टर से संपर्क करें।
– बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करें।
(स्वास्थ्य निदेशक डा. कुलभूषण सूद के मुताबिक)

आईजीएमसी में इन जिलों से पहुंचे मामले
कांगड़ा- 08
सोलन-02
सिरमौर- 03
शिमला- 05
इनमें से दो मरीजों की स्वाइन फ्लू के कारण मौत हो गई है

सभी जगह कर दिया है अलर्ट
स्वास्थ्य निदेशक डा. कुलभूषण सूद ने कहा कि हर साल स्वाइन फ्लू नए कवच में आता है। अब हर जगह इसकी पहुंच है। साल दर साल अब यह घटता रहेगा। प्रदेश में सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एहतियात बरतने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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