
शिमला। बारिश अब बर्बादी बरसाने लगी है। उत्तराखंड और किन्नौर में लोगों के घर बचे हैं न घाट। कइयों को जान से हाथ धोना पड़ा है। भगवान न करे! पर कुदरत ने तेवर कड़े किए तो राजधानी में भी भारी तबाही मच सकती है। 1995 से यहां 258 भवन असुरक्षित घोषित किए गए हैं। लेकिन इन भवनों में आज भी स्कूल, आधा दर्जन होटल, एक दर्जन सरकारी दफ्तर, मकान और दुकानें चल रही हैं। वहीं, नगर निगम हर साल किसी पर्व की तरह नोटिस देने की रस्म निभा रहा है।
– कई बुजुर्ग पुरखों की अमानत संभालने का देते हैं तर्क
– राजधानी में दर्जनों भवन 80 साल से अधिक पुराने
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गंज बाजार में ढह चुकी है बिल्डिंग
शिमला के गंज बाजार, सब्जी मंडी, लोअर बाजार, राम बाजार और लक्कड़ बाजार में कई असुरक्षित भवन हैं, जहां दर्जनों परिवार रहते हैं। नगर निगम प्रशासन की ओर से इन्हें अनसेफ घोषित किया गया है। बीते साल गंज में एक भवन ढह भी चुका है। बावजूद इसके अब भी यहां लोग रहते हैं।
गिर सकती है लक्कड़ बाजार स्कूल की छत
राजकीय वरिष्ठ कन्या विद्यालय लक्कड़ बाजार की छत कभी भी गिर सकती है। स्कूल प्रशासन ने कई बार सरकार से गुहार लगाई है लेकिन सरकार की मानें तो स्कूल वक्फ बोर्ड का है। बोर्ड ने अभी तक मरम्मत करने की अनुमति नहीं दी है। इस स्कूल मेें करीब एक हजार छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
शिक्षा निदेशालय प्राथमिक भी अनसेफ
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के लालपानी स्थित दफ्तर, बिजली कंपनी के चार्ली विला स्थित दफ्तर सहित कुल 258 लोगों को नगर निगम अनसेफ भवन खाली करने के नोटिस दे चुका है। 1995 से 2012 की अवधि तक यह नोटिस दिए गए हैं।
पुरानी दरों पर किराया बड़ी वजह
अनसेफ भवनों में लोगों के रहने का बड़ा कारण जो पुरानी दरों पर किराया भी है। अधिकांश अनसेफ भवनों में रहने वाले लोग महीने में सिर्फ 100 या 200 रुपये किराया देते हैं। पिछले 60-70 साल से इन मकानों में रहने से किराया नहीं बढ़ाया गया है।
कई मामले कोर्ट में विचाराधीन
नगर निगम भवनों को खाली करने के नोटिस तो थमा चुका है लेकिन अब असुरक्षित भवनों के कई मामले कोर्ट में हैं। मकान मालिकों और किराएदारों की लड़ाई के चलते यह मामले कोर्ट तक पहुंचे हैं। किराएदारों के आरोप हैं कि मकान खाली करवाने के लिए भवनों को अनसेफ घोषित कराया गया है।
लोगों को कई बार किया आगाह : राजीव
नगर निगम के वास्तुकार एवं योजनाकार राजीव शर्मा ने कहा कि प्रशासन की ओर से सभी लोगों को सूचित कर दिया गया है। अगर इन भवनों को कोई नुकसान पहुंचता है तो भवन में रहने वाले स्वयं जिम्मेदार होंगे। कई मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं।