पांवटा साहिब(सिरमौर)। हिमाचल व उत्तराखंड राज्य के बीच काफी लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को निपटारे को उत्तराखंड प्रशासन सक्रिय हो गया है। सीमा निर्धारण को दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों के संयुक्त सर्वे के लिए देहरादून के जिलाधिकारी ने सिरमौर के डीसी को पत्र भेजा है। सीमा का निर्धारण न होने का फायदा दोनों राज्यों के खनन माफिया उठाते आ रहे हैं और वे बेधड़क होकर अवैध रूप से खनन करते हैं।
गौरतलब है कि अमर उजाला ने अभियान के माध्यम से सीमा क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन का मामला उठाया। इसके बाद ही उत्तराखंड सरकार ने सीमा निर्धारण का फैसला किया है । दोनों राज्यों की सीमा का निर्धारण हो जाने के बाद सिरमौर जिले में अवैध खनन पर अंकुश लगने की संभावना बढ़ जाएगी। बता दें कि हिमाचल के यमुना व टौंस नदी क्षेत्र में खनन की अनुमति है। जबकि उत्तराखंड में यमुना में खनन पर प्रतिबंध है। दोनों राज्यों की लंबी सीमा लगती है। लेकिन दशकों से सीमा का कोई निर्धारण नही हो सका है। यमुना व टौंस नदी दोनों राज्यों के सीमा क्षेत्र है। इनमें रेत, पत्थर व बजरी का चुगान कार्य चलता है। इसलिए भी दोनों प्रांतों की सीमा का राजस्व की दृष्टि से खास महत्व है।
पिछले एक दशक में हिमाचल व उत्तराखंड प्रशासन, खनन व वन विभाग कई बार आमने सामने आते रहे हैं। लेकिन सीमा क्षेत्र के निर्धारण को कदम नही उठाए जा सके थे। अब साथ लगते उत्तराखंड राज्य की सीमा के निर्धारण को देहरादून प्रशासन गंभीर है। इसलिए यमुना व टौंस नदी की सीमा निर्धारण को संयुक्त सर्वे करवाने की निर्णय लिया है। सिरमौर के उपायुक्त को देहरादून के डीएम ने सर्वे को पत्र भेज दिया है।
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उत्तराखंड प्रशासन ने गठित की सर्वेक्षण कमेटी
पांवटा साहिब(सिरमौर)। देहरादून के डीएम बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने सिरमौर के डीसी को भेजे पत्र में बताया है कि सर्वे के लिए विकासनगर के उपजिलाधिकारी अशोक पांडेय के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी गई है। इसमें नायब तहसीलदार, संबंधित लेखपाल व राजस्व निरीक्षक को शामिल किया गया है।
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अभी पत्र नही मिला:एसडीएम
पांवटा साहिब(सिरमौर)। एसडीएम पांवटा श्रवण मांटा ने कहा कि उन्हें अभी पत्र नहीं मिला है। लेकिन फिर भी डीएम देहरादून और एसडीएम विकासनगर से संपर्क कर बातचीत की जाएगी। राज्यों का सीमा निर्धारण केंद्र व राज्य सरकार स्तर का मामला है। फिर भी, जिलाधीश सिरमौर या एसडीएम पांवटा कार्यालय को कोई पत्र मिलता है तो उसके बाद ही सयुंक्त सर्वे की तिथि के बारे में बताया जा सकेगा।
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राज्य सीमा निर्धारण बेहद जरूरी:संजीव शर्मा
पांवटा साहिब(सिरमौर)। जिला खनन अधिकारी सिरमौर संजीव शर्मा ने कहा कि हिमाचल व उतराखंड की सीमा का निर्धारण बेहद जरूरी है। यमुना व टौंस नदी की करीब 27 किलोमीटर सीमा नदी से लगती है। सीमा निर्धारण से अवैध खनन में लगे लोग फायदा उठाते रहे है। सीमा तय हो जाने पर हिमाचल क्षेत्र में अवैध खनन रोकने को और प्रभावी ढंग से कार्य हो सकेगा। यदि दोनों राज्यों की यमुना व टौंस नदी में बाउंड्री डिमार्केशन हो जाएगी तो अवैध खनन पर अंकुश लगाने में सुविधा रहेगी।
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यूं रहता है छत्तीस का आंकड़ा
पांवटा साहिब(सिरमौर)। हिमाचल व उत्तराखंड राज्य पड़ोसी हैं। इसलिए यमुना नदी पर करीब 17 किलोमीटर व टौंस नदी पर करीब 10 किलोमीटर दोनों राज्यों की सीमा साथ लगती है। इन दोनों नदियों में सर्वाधिक उप खनिज रेत, बजरी व पत्थर प्रचुर मात्रा में रहता है। पांवटा के यमुनापुल से लेकर डाकपत्थर बैराज व रामपुर मंडी समेत क्षेत्र में सीमा लगती है। इन स्थलों से हर वर्ष करोड़ों का अवैध खनन होता है।
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विवाद का फायदा माफिया खनन को
पांवटा साहिब(सिरमौर)। दशकों से सीमा विवाद को कोई रास्ता नही निकल सका है। इसका सीधा फायदा अवैध खनन माफिया उठाता रहा है। उत्तराखंड में यमुना नदी पर खनन प्रतिबंधित है। लेकिन हिमाचल सीमा से भी खनन कर उप खनिज उतराखंड में पंहुचाया जाता है। हिमाचल से छापामारी होने पर उतराखंड में वाहन दौड़ जाते है। सीमा निर्धारण नहीं होने से अवैध खनन पर अंकुश लगाने में दिक्कत होती रहा है। विगत दो माह के भीतर ही दो मामले पेश आए हैं। जिसमें फरवरी महीने में अवैध खनन रोकने गए एमओ सिरमौर के वाहन का उत्तराखंड क्षेत्र में घेराव किया गया। जबकि मार्च 2013 में भंगानी क्षेत्र में अवैध खनन से रोकने पर कुछ लोग चौकीदार को उत्तराखंड उठा ले गए। बाद में किसी तरह चुंगल से छूट कर सिंगपुरा पुलिस चौकी में मामला दर्ज करवाया था।