सात वर्ष में 11 महीने बिजली उत्पादन

रोहड़ू। राज्य बिजली बोर्ड की तीन मेगावाट गुम्मा विधुत परियोजना में सात वर्ष में केवल 11 महीने ही बिजली उत्पादन हुआ है। परियोजना के बंद रहने से बिजली बोर्ड को करोड़ों का नुकसान हुआ है। मशीनों की मरम्मत तथा परियोजना निर्माण में हुई अनियमितताओं में लीपापोती की आशंका है।
तीन मेगावाट की गुम्मा परियोजना वर्ष 2001 में बनकर तैयार हुई है। इसके निर्माण पर बिजली बोर्ड ने करीब 27.65 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है। परियोजना के बनने के बाद सात वर्ष में कई बार मशीनों तथा इसकी टनल में खराबी आई। परियोजना ने 2007 तक बिजली उत्पादन किया है।
इसके बाद मशीनें 2007 से रखाब पड़ी हैं। अप्रैल 2011 में इसकी मरम्मत की गई। पांच साल के दौरान बिजली बोर्ड ने इंजीनियरों, कर्मचारियों तथा मरम्मत के काम पर लाखों रुपये खर्च किए हैं। 29 अक्तूबर 2012 से परियोजना की मशीनें फिर खराब हैं। वर्ष 2007 से पहले भी परियोजना की कई बार मरम्मत की जा चुकी है। गुम्मा परियोजना में हर दिन 20 से 30 हजार यूनिट बिजली पैदा करने की क्षमता है। बिजली की एक यूनिट बिजली का दाम बिजली बोर्ड 2.75 रुपये आंकता है। सात सालों में बिजली बोर्ड को परियोजना से करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
किसान सभा ने की जांच की मांग
किसान सभा के संयोजक सुखदेव चौहान तथा अध्यक्ष राजकमल जिंटा ने मांग की है कि परियोजना के निर्माण कार्य में धांधलियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि बार-बार मशीनों के खराब होने तथा पानी के चैनल में लीकेज आदि की जांच की जाए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
जल्दी दुरुस्त होंगी प्रोजेक्ट की मशीनें
गुम्मा विद्युत परियोजना के रेजिडेंट इंजीनियर एसआर सकलानी ने कहा कि खराब मशीनों को जल्द दुरुस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सात वर्ष में केवल 11 महीने ही परियोजना में विधुत उत्पादन हुुआ है। परियोजना में हर दिन 20 से 30 हजार यूनिट बिजली पैदा करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि अधिक वाइब्रेशन के कारण मशीनों में खराबी आ रही है। बीएचएल के इंजीनियर इन्हें ठीक करने के लिए यहां आने वाले हैं।

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