देहरादून
जनता का बजट बनाने के लिए सरकार जनता से सुझाव भी मांग रही है, लेकिन वित्त विभाग के अधिकारियों के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है कि वित्तीय वर्ष के दौरान बजट में जितनी धनराशि का प्रावधान किया जाता है, उसके सापेक्ष जितनी स्वीकृति होती है, वह पूरी खर्च क्यों नहीं हो पाती? हर साल करोड़ों रुपये की धनराशि वित्तीय वर्ष के आखिरी में विभाग क्यों समर्पित कर देते हैं?
आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट की तैयारी में जुटी प्रदेश सरकार के लिए बजट के भरपूर उपयोग की रणनीति भी बनानी होगी। बजट खर्च भी सरकार के लिए एक चुनौती माना जा रहा है। बीते वित्तीय वर्ष में सरकार ने जितना बजट तय किया था, वह उसका 62.19 प्रतिशत ही खर्च कर पाई। पिछले तीन सालों की तुलना में खर्च की यह दर सबसे कम है।
जून महीने में सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट लेकर आएगी। जनता का बजट बनाने के लिए सरकार जनता से सुझाव भी मांग रही है। लेकिन वित्त विभाग के अधिकारियों के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है कि वित्तीय वर्ष के दौरान बजट में जितनी धनराशि का प्रावधान किया जाता है, उसके सापेक्ष जितनी स्वीकृति होती है, वह पूरी खर्च क्यों नहीं हो पाती। हर साल करोड़ों रुपये की धनराशि वित्तीय वर्ष के आखिरी में विभाग क्यों समर्पित कर देते हैं?
नियोजन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 64485.18 करोड़ रुपये का विभागवार बजट का प्रावधान किया। प्रावधान बजट के सापेक्ष 40105.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यानी बजट के सापेक्ष खर्च की दर 62.19 प्रतिशत रही।
अलबत्ता कुल बजट से जारी धनराशि के सापेक्ष विभागों ने 87.57 प्रतिशत खर्च किए। चुनावी साल में उम्मीद इससे अधिक धनराशि जारी होने और खर्च की थी। जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभागों ने कुल बजट के सापेक्ष 64.52 प्रतिशत खर्च की, जो बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक था। बजट के सापेक्ष सरकार ने विभागों को जितनी धनराशि जारी की, उसका 89.17 फीसदी खर्च हुआ।
बजट की तुलना में विभागों ने खर्च किया
वित्तीय वर्ष बजट खर्च प्रतिशत
2021-22 64485.18 40105.88 62.19
2020-21 57590.76 37163.01 64.52
2019-20 51145.29 32984.15 64.49
पिछले तीन साल में विभागवार बजट खर्च का विवरण
वित्तीय वर्ष प्रावधान स्वीकृति स्वीकृति के सापेक्ष खर्च
2021-22 64485.18 45797.38 87.57
2020-21 57590.76 41677.67 89.17
2019-20 51145.29 37349.12 88.31
केंद्रीय इमदाद का फायदा उठाने में भी नाकाम
उत्तराखंड राज्य के विकास में केंद्रीय अनुदान और केंद्र पोषित योजनाओं का सबसे बड़ा योगदान है। लेकिन सरकारी महकमे केंद्र पोषित योजनाओं का भी पूरा फायदा नहीं उठा पाते हैं। इसकी तस्दीक बजट के आंकड़ों से हो जाती है। 2021-22 में सरकार ने विभागों में 14302.09 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की। इसके सापेक्ष वित्तीय वर्ष में 7657.86 करोड़ रुपये मंजूर किए। यह धनराशि विभाग पूरी नहीं खर्च कर सके और खर्च की 79.06 फीसद रही। पिछले दो वित्तीय वर्ष की तुलना में खर्च की यह दर कम रही। जबकि मुख्य सचिव और प्रभारी सचिवों के स्तर पर लगातार समीक्षा बैठकों में केंद्र पोषित योजनाओं की धनराशि का अधिकतम उपयोग करने के लगातार दिशा-निर्देश दिए जाते रहे हैं।
केंद्र पोषित योजनाओं में विभागों में कुल खर्च का ब्योरा
2021-222 14302.09 7657.86 79.06
2020-21 10127.37 6804.71 86.55
2019-20 8788.16 5374.50 87.91