प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले लोग एक तरफ जहाँ बून्द बून्द पानी के लिए तरसते है । वहां ही दूसरी तरफ सरकार ने अब ग्रामीण इलाको में भी पानी के बिल बसूलने का मन बना लिया है । नलो में पानी आये या न आये परन्तु हर कनेक्शन पर न्यूनतम शुल्क सौ रूपये तो चुकाने ही होंगे अगर आपने पानी का अधिक उपयोग किया तो मीटर के हिसाब से अधिक बिल भी अदा करना होगा । जलशक्ति विभाग की खराब हालत सुधारने को मंत्रिमंडल ने पूर्व भाजपा सरकार का विधानसभा चुनाव से पूर्व लिया फैसला पलट दिया। गरीबों विशेषकर विधवाओं, एकल नारियों, दिव्यांगों, 50 हजार से कम सालाना आय वालों के बिल नहीं आएंगे। पानी के मीटर लगाए जाएंगे, जिसके आधार पर बिल लिया जाएगा। राज्य परिवहन निगम की बसों में पुलिस कर्मियों, जेल अधिकारियों और हिमाचल प्रदेश सचिवालय सुरक्षा सेवा के कर्मियों को महज पहचान पत्र दिखाकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुफ्त यात्रा को बंद कर अब वास्तविक आधार पर ही उनकी आधिकारिक यात्रा खर्च की प्रतिपूर्ति की जाएगी। निजी ऑपरेटरों के 168 रूटों के दोबारा आवंटन के लिए परिवहन नीति 2014 के तहत 60:40 की शर्त में ढील देने का फैसला किया है। यानी 60 फीसदी ग्रामीण और 40 फीसदी शहरी क्षेत्रों में बसें चलाना अनिवार्य नहीं होगा। विभ्न्नि विभागों में 999 पद भरने का फैसला किया गया। करीब पांच घंटे चली कैबिनेट बैठक में 36 एजेंडों पर फैसले लिए गए।
मानसून के मौसम के बाद कृषि क्षेत्रों से दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति दी गई है। यह गैरखनन गतिविधि की श्रेणी में आएगा महंगा हो सकता है रेत-बजरी खनन नीति में संशोधन के बाद इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में पांच रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क पांच रुपये प्रति टन और दूध उपकर के रूप में दो रुपये प्रति टन शुल्क लिया जाएगा। उपकर लगने से रेत और बजरी की कीमतें बढ़ सकती हंै। गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के उपयोग के लिए रॉयल्टी का 75 प्रतिशत (140 रुपये प्रति टन) प्रसंस्करण शुल्क सरकार को मिलेगा। नदी किनारे निर्माण बंद करने के लिए नियम तय करने का भी फैसला लिया है।