हिमाचल के देवदार की छांव में भले ही गरम नशे की खेती को माफिया खुद अंजाम देता हो लेकिन आगे इसकी सप्लाई के लिए ऐसे लोगों को चुना जा रहा है जिन पर पुलिस शक न कर सके।
इनमें महिलाएं और बेरोजगार युवा चरस माफिया की पहली पसंद हैं। पैसे के लालच में एक बार जो इस दलदल में धंस गया सो फंस गया। इसी लाइन पर चरस तस्करों का नेटवर्क अपने धंधे को फैलाना शुरू करता है।
इसके साथ महिलाओं और बेरोजगारों के हाथ चरस थमाकर इसे एक निश्चित जगह तक पहुंचाने तक का ही संदेश दिया जाता है।
चरस कहां से आई और किसने दी, इसकी इन्हें जानकारी तक इन्हें नहीं होती। ऐसे में पुलिस सरगना तक पहुंचने से अक्सर चूक जाती है।
वर्ष 2012 में पुलिस ने चार महिलाओं को चरस तस्करी के आरोप में पकड़ा था।
वर्ष 2013 में 14 जून तक पुलिस ने तीन महिलाओं को चरस तस्करी के आरोप में दबोचा है।
पुलिस ने छेड़ी है विशेष मुहिम
एसपी डा. विनोद धवन ने बताया कि चरस तस्करी में संलिप्त लोग अब महिलाओं को हथियार बनाकर इस धंधे को चला रहे हैं। इस कारण जिले में चरस तस्करी के मामले में महिलाओं की संलिप्तता बढ़ गई है। इस पर पुलिस की कड़ी नजर है। पुलिस ने चरस तस्करी के धंधे में संलिप्त लोगों को पकड़ने के लिए विशेष मुहिम छेड़ी है।