
अगस्त्यमुनि। केदारघाटी में आई आपदा के 18 दिन बाद भी अगस्त्यमुनि-विजयनगर में जीवन सामान्य नहीं हो पाया। विजयनगर झूला पुल के समीप 49 दुकानें बह गई है, तो 16 दुकानों तक जाने का रास्ता ही नहीं बचा है। झूला पुल के पार भी आठ दुकानों का संपर्क मार्ग खत्म हो चुका है। नगर में 200 से अधिक भवन बह चुके हैं।
त्रासदी से उबर पाने में कितना समय लगेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन वर्तमान की असामान्य स्थिति के चलते बची हुई दुकान भी बंद हैं। आजीविका और जीवन का एकमात्र सहारा ही बंद पड़ा होने से व्यापारियों के सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया है।
नगर के सुनील ने पांच साल पूर्व विजयनगर में डेरी खोली थी। एक-एक पाई जमाकर पिछले साल ही गंगानगर में घर बनाया। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक पल में सब कुछ खाक हो गया। गंगानगर में उनका मकान और विजयनगर में डेरी बह गई। वहीं रघुनाथ रावत झूला पुल पर पहले राशन और इन दिनों होटल चलाकर गुजर-बसर कर रहे थे, लेकिन बाढ़ में इनका सब कुछ बह गया है। पुस्तक विक्रेता शंभू प्रसाद थपलियाल के छोटे बेटे की सगाई जुलाई में थी। इसके लिए राशन सहित अन्य सामग्री एकत्र की थी, जो पूरी बह गई है।