कर्णप्रयाग। जनपद चमोली में प्रकृति ने असीम नेमतें बख्सी हैं, लेकिन इनमें से कई अभी भी नजरों से ओझल हैं। सुरम्य वादियों के बीच वर्षभर हरे-भरे बांज, बुरांश, सुरई, देवदार के वृक्षों के बीच स्थित ये मनोहारी दृश्य मन को आनंदित कर देते हैं। इन्हीं में शामिल हैं थराली, नारायणबगड़ और घाट ब्लाक में आने वाले भेंकलताल, ब्रह्मताल, सुखताल, सांगील नाग ताल, झलताल, खोबतला ताल। सुखताल को भले ही सूख गया हो, लेकिन अन्य सभी वर्षभर स्वच्छ पानी से भरपूर रहते हैं। बावजूद इसके पर्यटन की अपार संभावनाओं को संजोए ये स्थल आज भी पर्यटन का हिस्सा नहीं बन पाए हैं।
भेंकलताल
समुद्रतल से नौ हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित भेंकलताल देवदार, सुराई, बुरांश के पेड़ों के बीच में घिरा हुआ है। करीब एक किमी वर्ग क्षेत्र में फैला यह स्थान बहुत खूबसूरत है। यहां भेंकल नाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है। जून में प्रतिवर्ष भेंकलताल से कुछ नीचे तालगेर में भेंकलताल महोत्सव का आयोजन होता है। भेंकलताल का पानी तालगेर से होते हुए जमीन के अंदर ही अंदर रतगांव पहुंचता है। इससे निकटवर्ती कई अन्य प्राकृतिक स्रोत भी रिचार्ज होते हैं। देवाल-लोहाजंग मोटर मार्ग से करीब पांच किमी पैदल चलकर भेंकलताल पहुंचा जाता है।
ब्रह्मताल
भेंकलताल से लगभग तीन किमी दूर ऊंचाई पर समुद्रतल से ग्यारह हजार फिट की ऊंचाई पर ब्रह्मताल मौजूद है। यह अपने आप में प्रकृति की अनुपम धरोहर है। यहां भी लगभग खुले स्थान पर करीब तीन सौ वर्ग मीटर की परिधि में बारामास क्रिस्टल के समान स्वच्छ जल से भरा ताल मौजूद है।
झलताल
थराली तहसील में रुईसांण गांव से करीब दस किमी दूर लार्ड कर्जन ट्रैक एक किमी क्षेत्रफल में फैला झलताल, पर्यटन की अपार संभावनाओं को संजोए हुए है। यहां वर्षभर ताल में जल भराव रहता है। समुद्रतल से करीब साढ़े नौ हजार फिट की ऊंचाई पर सोलपट्टी क्षेत्र के कई लोग ग्रीष्मकाल में यहां पहुंचते हैं। यहां कृष्ण जन्माष्टमी को मेले का आयोजन होता है। ताल से कुछ दूरी पर खोबतला ताल भी है। यह भी वर्षभर पानी से भरा रहता है। थराली-रुईसांण मोटर मार्ग से करीब तीन किमी वाहन से और फिर पैदल चलकर यहां पहुंचा जाता है।
ये स्थल पर्यटन और ट्रैकिंग का बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन पर्यटन विभाग की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर इन स्थानों को पर्यटन से जोड़ा जाए, तो ये ग्राम पर्यटन और क्षेत्रीय विकास में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
– सुशील रावत/मोहन सिंह रावत निवासी थराली/रुईसांण
भेंकलताल सहित अन्य तालों को राज्य योजना में शामिल किया गया था। इस बार धन मिलता है, तो वहां कुछ कार्य कराए जाएंगे। स्थानीय लोगों से भी जानकारी ली जा रही है।
– एसएस राणा, जिला पर्यटन अधिकारी चमोली (गोपेश्वर)